केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि भारत ने रूसी तेल खरीदकर पूरे विश्व का भला किया है। क्योंकि अगर भारत ने ऐसा नहीं किया होता तो वैश्विक तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ जातीं। रूसी तेल पर कभी कोई प्रतिबंध नहीं था और सिर्फ एक मूल्य सीमा थी जिसका भारतीय संस्थाओं ने पालन किया। पुरी ने कहा कि हमें अपने सात करोड़ नागरिकों के लिए ऊर्जा की निरंतर उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता सुनिश्चित करने की जरुरत है, जो हर रोज पेट्रोल पंप पर जाते हैं। यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
हरदीप पुरी ने क्या कहा?
हरदीप पुरी ने कहा कि आगामी सालों में तेल विश्व की ऊर्जा आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि साल 2026 तक जब बाजार में ज्यादा ऊर्जा उपलब्ध होगी, स्थिति का अध्ययन करने वाले के रुप में मुझे लगता है कि कीमतों के स्थिर रहने और नीचे आने की संभावना ज्यादा है। यह सवाल करने पर कि भारत ने अक्टूबर में रुस से तेल आयात में तकरीबन दस फीसद की कमी क्यों की, हरदीप पुरी ने कहा कि ऐसा बाजार में प्रतिस्पर्धी तेल दरों के कारण हुआ। उन्होंने कहा कि अन्य लोग भी उसी प्रतिस्पर्धी दर पर आपूर्ति करने को तैयार हैं, क्योंकि ओपेक की स्थिति यह है कि वे कीमत से नहीं निपटते। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा चल रही है। यदि आपको यह किसी एक से नहीं मिलता है तो आपको यह किसी और से मिलता है।
ये तेल के बारे में बाजार में लिए गए निर्णय हैं
यह सवाल पूछने पर कि क्या रुसी तेल के आयात में कमी एक रणनीतिक फैसला था, हरदीप पुरी ने कहा कि ये तेल के बारे में बाजार में लिए गए फैसले है। जब रुस और युक्रेन के बीच जंग शुरु हुआ तब बाजार में तेरह मिलियन बैरल रुसी तेल था, यदि वह तेल बाजार से चला जाता और भारत ने अपने पांच मिलियन बैरल की खरीद को खाड़ी के आपूर्तिकर्ताओं को स्थानांतरित करने का फैसला लिया होता, तो तेल की कीमत दो सौ प्रति बैरल हो जाती।