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तेज़ी से बदलती चुनौतियों से निपटने के लिए ‘एडेप्टिव डिफेंस’ तैयार कर रही सरकार- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने बताया कि ‘एडेप्टिव डिफेंस’ एक रणनीतिक दृष्टिकोण है, जिसमें किसी देश की सेना और रक्षा तंत्र लगातार उभरते खतरों का सामना करने के लिए खुद को विकसित करते रहते हैं।

Ravi Rohan
  • Nov 12 2024 10:12PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार तेज़ी से बदलती विश्व में उभर रही चुनौतियों से निपटने के लिए देश में ‘एडेप्टिव डिफेंस’ बनाने की दिशा में दृढ़ संकल्पित है, यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में आयोजित पहले दिल्ली डिफेंस डायलॉग (डीडीडी) में कही। इस डायलॉग का आयोजन मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (एमपी-आईडीएसए) द्वारा किया गया था और इसका विषय था, ‘एडेप्टिव डिफेंस: आधुनिक युद्ध की बदलती रूपरेखा को समझना’।

रक्षा मंत्री ने समझाया ‘एडेप्टिव डिफेंस’ का महत्व

 राजनाथ सिंह ने बताया कि ‘एडेप्टिव डिफेंस’ एक रणनीतिक दृष्टिकोण है, जिसमें किसी देश की सेना और रक्षा तंत्र लगातार उभरते खतरों का सामना करने के लिए खुद को विकसित करते रहते हैं। उन्होंने कहा, “‘एडेप्टिव डिफेंस’ केवल बीते हुए घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाकर उनके लिए सक्रिय रूप से तैयार रहने की रणनीति है। इसमें परिस्थितिजन्य जागरूकता, लचीलापन, भविष्य की तकनीकों के साथ सामंजस्य, और बदलते हालात के साथ अनुकूलन की क्षमता जैसी विशेषताएं महत्वपूर्ण हैं।”

एडेप्टिव डिफेंस है आवश्यकता, सिर्फ रणनीति नहीं: रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘एडेप्टिव डिफेंस’ केवल एक रणनीतिक विकल्प नहीं, बल्कि आज की आवश्यकता है। “जैसे-जैसे देश के प्रति खतरे विकसित हो रहे हैं, वैसे-वैसे हमारे रक्षा तंत्र और रणनीतियों को भी बदलना होगा। यह सिर्फ सीमा की सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि हमारे भविष्य को सुरक्षित रखने के बारे में है।”

नए तकनीकी युग में पारंपरिक युद्ध के सिद्धांत बदल रहे हैं

 राजनाथ सिंह ने कहा कि नई तकनीकों और रणनीतिक साझेदारियों के चलते पारंपरिक युद्ध की धारणाएँ बदल रही हैं। उन्होंने इस युग को ‘ग्रे ज़ोन’ और ‘हाइब्रिड वारफेयर’ का नाम देते हुए कहा कि ऐसे में लगातार अनुकूलन ही सबसे कारगर रणनीति है।

भारत को चुनौती देने वाले विविध सुरक्षा मुद्दों पर रक्षा मंत्री ने डाली रोशनी

रक्षा मंत्री ने भारत को पारंपरिक सीमा-संबंधी खतरों से लेकर आतंकवाद, साइबर हमलों और हाइब्रिड युद्ध जैसी असामान्य समस्याओं का सामना करने वाली सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार बदलते भू-राजनीतिक और तकनीकी परिवेश में अनुकूलनशील रक्षा रणनीति की आवश्यकता को समझती है और इसके लिए कई कदम उठा रही है।

साइबर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भारत को आगे ले जाने पर जोर

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार साइबर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे उभरते तकनीकी क्षेत्रों में भारत को अग्रणी बनाए रखने के लिए संकल्पित है। “भारत जैसे विशाल और संभावनाओं से भरे देश को एआई और नई तकनीकों के क्षेत्र में अग्रणी बनने की जरूरत है।”

ड्रोन तकनीक में हो रहा नवाचार

रक्षा मंत्री ने बताया कि ड्रोन और स्वार्म तकनीक युद्ध के तरीकों में बड़ा बदलाव ला रही हैं। उन्होंने कहा, “भारत ड्रोन का हब बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान मिलेगा।”

 

 

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