पाकिस्तान के कराची शहर में धार्मिक असहिष्णुता का एक और खौफनाक चेहरा सामने आया है। शुक्रवार (18 अप्रैल 2025) को दिनदहाड़े कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) से जुड़े सैकड़ों लोग एकत्र होकर अहमदी समुदाय के धार्मिक स्थल के बाहर हिंसक प्रदर्शन पर उतर आए। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि इस हमले में एक अहमदी व्यक्ति की जान चली गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए।
यह दर्दनाक घटना कराची के सदर इलाके में सामने आई, जहाँ भीड़ ने मस्जिद की ओर जा रहे 46 वर्षीय लायक चीमा को पहचानकर निशाना बनाया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पीड़ित को बुरी तरह पीटा गया, जिसके चलते अस्पताल पहुँचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा है कि पूरे घटनाक्रम की जांच की जा रही है और आस-पास लगे CCTV कैमरों की फुटेज को खंगाला जा रहा है ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके। DIG सैयद असद रज़ा के मुताबिक, TLP के 400 से ज्यादा कार्यकर्ता कराची के मोबाइल मार्केट के पास एक हॉल में जमा हुए थे और वहां से निकलकर अहमदी समुदाय के क्षेत्रों में तनाव फैलाने का प्रयास किया।
पीड़ित था अहमदी समुदाय की आवाज
मारे गए लायक चीमा अहमदी समुदाय में एक जाना-पहचाना नाम थे। उनके समुदाय के प्रवक्ता आमिर महमूद ने जानकारी दी कि वे अक्सर मजहबी असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाते थे। हमले के वक्त वो मस्जिद से करीब 100 मीटर की दूरी पर थे जब भीड़ ने उन्हें घेर लिया।
यह घटना कोई पहली नहीं है। पाकिस्तान में अहमदी समुदाय लंबे समय से सामाजिक और धार्मिक भेदभाव का सामना करता रहा है। 1974 में पाकिस्तान की संसद ने एक संवैधानिक संशोधन के जरिए अहमदियों को ‘गैर-मुस्लिम’ घोषित कर दिया था। इसके बाद से उन पर हिंसक हमलों और सामाजिक बहिष्कार का दौर थमा नहीं है।
मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार पाकिस्तान सरकार से धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने की अपील की है। हाल ही में पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने भी अपने बयान में चिंता जताई थी कि धार्मिक स्थलों और अल्पसंख्यकों के घरों पर भीड़तंत्र का हमला बढ़ता जा रहा है।