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Paris Olympic 2024: कर्म करो, फल की चिंता.., श्री कृष्ण की भक्त है मनु भाकर, भगवत गीता को दिया सफलता का श्रेय

पेरिस ओलंपिक में मनु भाकर ने कांस्य जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने अपने इस जीत का श्रेय भगवान कृष्ण और भगवत गीता को दिया है।

Rashmi Singh
  • Jul 29 2024 1:28PM

पेरिस ओलंपिक में मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग फाइनल में भारत के लिए पहला कांस्य पद जीत चुकी है। जीत के बाद मनु ने अपने जीत का श्रेय भगवान कृष्ण और भगवत गीता को दिया है। उन्होंने बताया कि, "भगवत गीता का संदेश पाकर वे पदक जीतने तक की राह तय कर सकी है। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए संदेश कर्म करो फल की चिंता मत करो का पालन करने की बात भी कही है।"

बता दें, भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने इतिहास रच दिया है। मनु ने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टर इवेंट में  221.7 का स्कोर पाकर कांस्य पदक जीता है। वो ओलंपिक में जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बनी है।  

भगवान श्री कृष्ण की बातें मेरे दिमाग में थी- मनु भाकर 
मनु भाकर ने जीतने के बाद कहा, "मैं सिर्फ अपना बेस्ट प्रदर्शन करने पर ध्यान देती हूं। मैं अपने भाग्य को तो कंट्रोल नहीं कर सकती हूं। मेडल जीतने के आखिरी पलों के बारे  में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से सिर्फ अपने काम पर ही फोकस करने को कहा था। वह सब मेरे दिमाग में भी चल रहा था।" 
उन्होंने आगे कहा कि, "टोक्यों ओलंपिक मेरे लिए निराशाजनक रहा था। लेकिन जो बीत गया वो बीत गया। यह मेडल हम सभी के लिए है। यह हमेशा टीम वर्क होता है। मैं भारत के लिए यह मेडल जीतने के लिए सिर्फ एक माध्यम हूं।"

 बचपन से थी खेलों में रुची 

 जानकारी के लिए बता दें कि, मनु भाकर हरियाणा के झज्जर से है। बचपन से ही मनु को खेलों में  रुची रही है। वह जब 14 साल की थी, तभी उन्होंने निशानेाजी में अपना करियर बनाने का फैसला लिया था। उन्होंने जब अपने पिता राम किशन भाकर से शूटिंग की प्रैक्टिस के लिए पिस्टल लाने को कहा तो उनके पिता ने भी उनके फैसले  का सम्मान किया और उन्हें पेस्टल लाकर दे दी। उनके पिता के इस फैसले से आज मनु भाकर को ओलंपियन बना दिया है। वह टेनिस से लेकर स्केटिंग और मुक्केबाजी प्रतियोगिताओं में अक्सर हिस्सा लेती रहती थी। इसके अलावा उन्होंने एक मार्शल आर्ट में भी हिस्सा लिया था। जिसे नेशनल लेवल पर मेडल जीतने वाली थान टा के नाम से जाना जाता है।

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