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"नाबालिग बीवी के साथ सहमति से किया सेक्स भी रेप", बॉम्बे HC के फैसले से '15 साल में निकाह' वाला शरीयत का कानून हो सकता है प्रभावित

Bombay High Court News: माइनर वाइफ के साथ यौन संबंध मामले में हाईकोर्ट ने बरकरार रखी 10 साल की सजा, जानें क्या है पूरा मामला

Ravi Rohan
  • Nov 15 2024 2:07PM
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया, जिसमें अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर कोई पुरुष अपनी 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ सहमति से भी यौन संबंध बनाता है, तो यह बलात्कार की श्रेणी में आएगा। कोर्ट ने इस मामले में एक आरोपी द्वारा दी गई दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि वह अपनी पत्नी से सहमति से यौन संबंध बना रहा था।

नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति गोविंद सनप ने 12 नवंबर को सुनाए गए फैसले में कहा कि, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद यह मानना सही नहीं है कि पत्नी के साथ संबंध बलात्कार नहीं हो सकते। यह मामला एक 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाने का है, जिसे किसी भी स्थिति में बलात्कार माना जाएगा, चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं।" अदालत ने इस बात को स्वीकार नहीं किया कि नाबालिग पत्नी की सहमति से किया गया यौन संबंध किसी भी प्रकार से वैध हो सकता है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि जब किसी लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम हो, तो उसके साथ यौन संबंध बनाना हमेशा बलात्कार होगा, भले ही वह शादीशुदा हो या न हो। यहां तक कि यदि लड़के ने विवाह का दिखावा किया हो, तब भी यह आरोप बलात्कार ही माना जाएगा यदि लड़की ने अपनी सहमति वापस ले ली हो।

यह मामला एक व्यक्ति द्वारा दायर की गई अपील से जुड़ा था, जिसे बलात्कार और POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले इस आरोपी ने दावा किया था कि उसने अपनी पत्नी से सहमति से यौन संबंध बनाए थे। लेकिन हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए आरोपी को सजा दी।

मामला वर्धा जिले का था, जहां एक नाबालिग लड़की ने आरोपी युवक के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। लड़की गर्भवती हुई और आरोपी ने उसे शादी का झूठा वादा किया। लेकिन शादी के बाद भी उसने लड़की के साथ बुरा व्यवहार किया, उसे गर्भपात करने के लिए मजबूर किया और कई बार मारपीट की। अंत में, लड़की ने आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण

अक्टूबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि यदि पत्नी 18 वर्ष से कम है, तो सहमति से भी यौन संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा। हालांकि, मार्च 2023 में एक और फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि नाबालिग पत्नी अपनी सहमति से यौन संबंध बनाती है, तो यह बलात्कार नहीं होगा। इस संदर्भ में, अलग-अलग कोर्टों के फैसले पर अलग-अलग विचार हैं।

बाल विवाह और मुस्लिम पर्सनल लॉ पर बहस

बाल विवाह को लेकर बहस जारी है, इसी तरह कुछ अदालतें 15 साल की लड़की के निकाह को शरीयत कानूनों और  मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत जायज मानती हैं, वहीं कुछ ने इसे अपराध की श्रेणी में डाला है। 2022 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर मुस्लिम लड़की 15 साल की हो जाती है, तो उसे शादी के लिए जायज माना जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2024 में यह टिप्पणी की कि बाल विवाह को रोकने के लिए बने कानून को किसी भी पर्सनल लॉ से ऊपर माना जाएगा। 

भारत के कानून के अनुसार, शादी के समय महिला की उम्र कम से कम 18 साल और पुरुष की उम्र 21 साल होनी चाहिए। इसके तहत बाल विवाह को अवैध माना जाता है। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत भारत सरकार ने बाल विवाह को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं। 

बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि नाबालिग लड़की के साथ शादी चाहे वैध हो या न हो, उसे बलात्कार से बचाया जाना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि शादी के बावजूद 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध हमेशा बलात्कार माने जाएंगे, जिससे बाल विवाह के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाया गया है।

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