इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter- @shwetamedia207
लखनऊ की महापौर सुषमा खरकवाल ने बुधवार को भरवारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण किया। यह निरीक्षण शहर की जल एवं सीवेज व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। निरीक्षण के दौरान नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की एक विशेष टीम महापौर के साथ उपस्थित रही।
इस टीम में प्रमुख रूप से अपर नगर आयुक्त ललित कुमार, जलकल महाप्रबंधक कुलदीप सिंह एवं जलकल अधिशासी अभियंता विकास शामिल थे। साथ ही प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजेश मटपाल, सूएज इंडिया के प्रोजेक्ट मैनेजर अश्विनी डोगरा अपनी टीम के साथ तथा जलनिगम के अधिशासी अभियंता एवं जूनियर इंजीनियर भी मौजूद रहे। महापौर ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विभिन्न हिस्सों का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने प्लांट की वर्तमान कार्यक्षमता, उपलब्ध संसाधनों और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए विस्तृत समीक्षा की। निरीक्षण के दौरान उन्होंने प्लांट की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए।
महापौर ने कहा कि शहर की बढ़ती जनसंख्या और विकास को देखते हुए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कार्यक्षमता को और बेहतर बनाना आवश्यक है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्लांट में आने वाले सीवेज का उचित शोधन सुनिश्चित किया जाए और शोधित जल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। टीम ने प्लांट में स्थापित विभिन्न उपकरणों की कार्यप्रणाली का भी निरीक्षण किया और उनके रखरखाव के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। महापौर ने प्लांट में कार्यरत कर्मचारियों से भी बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना।
इस अवसर पर महापौर ने कहा कि जलकल विभाग नगर निगम की प्राथमिकता है कि शहरवासियों को बेहतर सुविधाएं मिलें और पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे नियमित रूप से प्लांट का निरीक्षण करें और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाएं। निरीक्षण के दौरान सूएज इंडिया की टीम ने प्लांट के तकनीकी पहलुओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी साझा की। महापौर ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे प्लांट की क्षमता और दक्षता बढ़ाने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करें। जलकल विभाग नगर निगम का यह प्रयास शहर की जल व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल से न केवल शहर की स्वच्छता में सुधार होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।