समय पर फीस न चुका पाने के कारण आईआईटी में दाखिले से वंचित रहे छात्र को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी धनबाद को एडमिशन का आदेश दिया है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के छात्र अतुल को मात्र 17,500 रुपये फीस समय पर जमा नहीं कर पाने की वजह से आईआईटी में एडमिशन नहीं मिला था। अतुल को IIT धनबाद में सीट मिली थी लेकिन वह गरीबी के चलते एडमिशन फीस नहीं भर पाया था। इस वजह से उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा घटघटाया था।
जानकारी के अनुसार, अतुल को ऑनलाइन प्रवेश शुल्क 17,500 रुपये चुकाने में कुछ मिनट की देरी हो गई थी। जिसकी वजह से उन्हें IIT धनबाद में दाखिला नहीं मिल पाया। इसके बाद अतुल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने निर्देश दिया कि, याचिकाकर्ता को आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाए।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
अतुल के याचिका पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, 'हम ऐसे युवा प्रतिभाशाली लड़के को जाने नहीं दे सकते।' हालांकि, अतुल की याचिका का विरोध करते हुए IIT सीट अलॉकेशन अथॉरिटी के वकील ने कहा कि, 'लॉगिन डिटेल्स से पता चलता है कि दोपहर तीन बजे लॉगिन किया गया जो आखिरी मिनट का लॉगिन नहीं था।' सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'केवल एक चीज जिसने उसे रोका वह भुगतान करने में असमर्थता थी और सुप्रीम कोर्ट के रूप में हमें यह देखना होगा। न्यायालय को उसकी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखना होगा।' कोर्ट ने आदेश में कहा कि हमारा यह मानना है कि, 'याचिकाकर्ता जैसे प्रतिभाशाली स्टूडेंट को असहाय नहीं छोड़ा जाना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय को पूर्ण न्याय करने का अधिकार ऐसी स्थितियों से निपटने में है।'
जस्टिस पारदीवाला ने IIT सीट अलॉकेशन अथॉरिटी के वकील से कहा, 'आप इतना विरोध क्यों कर रहे हैं? आपको देखना चाहिए कि क्या कुछ किया जा सकता है।' वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि, 'अतुल के पिता 450 रुपये की दैनिक मजदूरी पर काम कर रहे हैं, 17,500 रुपये की राशि का प्रबंध करना उनके लिए बड़ा काम था और उन्होंने ग्रामीणों से यह राशि जुटाई।'
दरअसल, अतुल ने समय पर फीस जमा न कर पाने की वजह परिवार की खराब आर्थिक स्थिति बताई थी। अतुल कुमार की ओर से केस लड़ रहे वकील ने दलील दी कि, आईआईटी धनबाद में सीट आवंटित होने के बाद उन्हें फीस जमा करने के लिए चार दिन का समय दिया गया था। अब इतने कम वक्त में 17,500 रुपये की फीस इंतजाम कर पाना उनके गरीब परिवार के लिए बहुत मुश्किल था। बता दें कि, यूपी के मुजफ्फरनगर नगर के टोटोरा गांव के रहने वाले 18 साल के अतुल कुमार के पिता दिहाड़ी मजदूर है।