आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहे मुस्तफा बानी उर्फ नजीर अहमद उर्फ जावेद इकबाल को एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वाड) ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में गिरफ्तार कर लिया है। वह पिछले 30 साल से फरार था और 1993 में देवबंद में हुए विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी था।
1994 में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह फरार हो गया था, और तब से एटीएस और स्थानीय पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए प्रयासरत थे। इस गिरफ्तारी को आतंकवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
देवबंद में पुलिसकर्मियों पर ग्रेनेड हमला
1993 में मुस्तफा बानी ने देवबंद के यूनियन चौराहे पर पुलिसकर्मियों पर हैंड ग्रेनेड फेंका था। इस हमले में दो पुलिसकर्मी और चार आम नागरिक घायल हुए थे। घटना के बाद, देवबंद पुलिस ने बानी के खिलाफ गंभीर आरोपों के तहत केस दर्ज किया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद वह फरार हो गया। एटीएस की विशेष टीम ने उसे पकड़ने के लिए वर्षों तक लगातार कोशिशें की थीं।
पहचान बदलकर फरार हुआ था बानी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बानी फरार होने के बाद अपनी पहचान बदलकर अलग-अलग जगहों पर छिपा रहा था। उसने सुरक्षा बलों से बचने के लिए कई स्थानों पर अपनी नई पहचान के तहत जीवन यापन किया। एटीएस की कार्रवाई के बाद अब उसे देवबंद पुलिस के हवाले कर दिया गया है। बानी की गिरफ्तारी पर सहारनपुर पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था, जिसे एटीएस ने प्राप्त किया।
ATS और देवबंद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई
सहारनपुर के एसपी देहात, सागर जैन ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा कि एटीएस और देवबंद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में मुस्तफा बानी को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि बानी के खिलाफ कोर्ट ने स्थायी वारंट जारी कर रखे थे और उसकी गिरफ्तारी में कोई रुकावट नहीं आई। यह सफलता स्थानीय पुलिस और एटीएस की कड़ी मेहनत का नतीजा है।
कानूनी कार्रवाई की दिशा में अब अगला कदम
इस मामले में अब पुलिस बानी के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई की दिशा में काम कर रही है। इतने वर्षों तक फरार रहने के बावजूद एटीएस ने उसे पकड़ने में सफलता हासिल की है, जो कि आतंकवाद के खिलाफ चलाए जा रहे संघर्ष में एक बड़ी उपलब्धि है।