हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का बहुत महत्व होता है. इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही है. हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले कलश स्थापना की जाती है. नवरात्रि में दुर्गा की घटस्थापना या कलश स्थापना के बाद देवी मां की चौकी स्थापित की जाती है तथा 9 दिनों तक इन देवियों की पूजन-अर्चन की जाती है. कलश को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है. शारदीय नवरात्रि में लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. तो जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
जानिए शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर की सुबह 12:19 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 4 अक्टूबर की सुबह 2:58 मिनट पर होगा. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना भी की जाती है.
जानिए पूजा विधि
इस दिन सुबह स्नानादि करके मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करें. अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर लाल मौली से बांधें. फिर उस कलश में सिक्का, लौंग का जोड़ा, दूर्वा घास डाल दें .
अब कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और उस नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर रखें. देवी मां की पूजा में शुद्ध देसी घी का अखंड दीप जलाएं. कलश के आसपास फल, मिठाई और प्रसाद रख दें. फिर कलश स्थापना पूरी करने के बाद मां की पूजा करें.