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एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर 2 करोड़ की ठगी करने वाले दो शातिर दबोचे गए

इसी तरह बात करके उनको प्रभाव मे लेते हुए बैंक व उनकी सारी डिटेल प्राप्त कर लिया गया। जिसके उपरान्त लगभग 05 दिन से अधिक समय तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया

Rajat Mishra
  • Sep 8 2024 7:19PM

इनपुट- ज्ञानेश लोहानी, लखनऊ

 
एस0जी0पी0जी0आई0 के एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट करके लगभग 02 करोड़ रूपयेे की ठगी करने वाले गैंग के 2 सदस्य जनपद लखनऊ से गिरफ्तार हो गए हैं। दरअसल आरोपी विगत काफी समय से सोशल मीडिया के माध्यम से काॅल करके स्वयं को पुलिस/ई0डी0/सी0बी0आई0 आदि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डरा-धमकाकर ठगी करने वाले संगठित गिरोहों के सक्रिय होने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थी। इस सम्बन्ध में एसटीएफ उ0प्र0 की विभिन्न टीमों को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था। 
 
विगत दिनों एस0पी0जी0आई0 लखनऊ के एसोसिएट प्रोफेसर के मोबाइल पर किसी अज्ञात नम्बर से काल आया। जिस पर उनके द्वारा काल रिसीव करने पर काॅलर द्वारा स्वयं को सी0बी0आई0 मुम्बई का पुलिस अधिकारी बताकर कहा गया कि मनी लाड्रिंग का केस हुआ जिसमें आपके खाते का इस्तेमाल किया गया है। इसी तरह बात करके उनको प्रभाव मे लेते हुए बैंक व उनकी सारी डिटेल प्राप्त कर लिया गया। जिसके उपरान्त लगभग 05 दिन से अधिक समय तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया एवं उनके खाते से लगभग 02 करोड़ से अधिक का पैसा विभिन्न खातो में ट्रान्सफर कर लिया गया। जब इनको इस बात का एहसास हुआ कि मेरे साथ ठगी की घटना हो गयी है तब इनके द्वारा थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में अभियोग पंजीकृत कराया गया।
 
अभिसूचना संकलन के क्रम में तकनीकी विषेषज्ञता एवं मुखबिर के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई कि स्वयं को पुलिस अधिकारी/सी0बी0आई0 अधिकारी बनकर ठगी करने वाले गिरोह के कुछ सदस्य शालीमार वन वल्र्ड, शहीद पथ के पास मौजूद है, जिसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया।
 
गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि इन लोगों के गिरोह ने एस0जी0पी0जी0 के एक डाॅक्टर के मोबाईल नम्बर पर काल करके खुद को पुलिस/सीबीआई अधिकारी बताकर उन्हे डराते-धमकाते हुए उनकी व्यक्तिगत जानकारी लेकर उनके खाते से रूपये ट्रांसफर कराकर, गैंग के सदस्यों द्वारा अरेंज किये हुए अलग-अलग लोगों के खातों में रूपये ट्रांसफर कर दिये थे, इन लोगों के पास मिले रूपये उन्ही खातों से निकाल कर लाये थे, इन रूपयों को गिरोह के सदस्यों को देना था तथा फिर यह लोग आपस मे मिलकर रूपये बाँट लेते है।

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