उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनाथ धाम के कपाट आज रात से शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी हजारों श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था और अन्य आवश्यक सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है।
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की परंपरा एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर मानी जाती है, जो भगवान बद्रीविशाल के शीतकालीन विश्राम की शुरुआत का प्रतीक है। गढ़वाल और कुमाऊं के स्थानीय श्रद्धालु इस दिन विशेष रूप से यहां आते हैं, जबकि देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या भी बढ़ती है। शीतकाल के दौरान भगवान बद्रीविशाल की मूर्ति को जोशीमठ स्थित एक अन्य मंदिर में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जहां उनका पूजन और आराधना की जाती है।
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया खास होती है। हर साल की तरह, इस बार भी कपाट बंद करने से पहले विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान मंदिर के मुख्य पुजारी और अन्य धार्मिक अधिकारी विधिपूर्वक पूजन करेंगे। इस अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष आयोजन किए जाते हैं, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, कीर्तन और भजन आदि का आयोजन होता है।
गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) और जिला प्रशासन की ओर से यात्री सुविधाओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के अपनी यात्रा पूरी कर सकें। प्रशासन ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। बद्रीनाथ धाम का शीतकालीन दरवाजा बंद होने के बाद, तीर्थयात्री अगले छह महीने तक इस पवित्र स्थल के दर्शन नहीं कर सकेंगे। हालांकि, ऑनलाइन माध्यमों से श्रद्धालु पूजा और दर्शन का लाभ ले सकते हैं।