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Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि के पांचवें दिन होगी स्कंदमाता की उपासना, जानिए पूजन विधि, मंत्र, कथा यहां

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर यानी गुरुवार से हो चुकी है। नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है।

Rashmi Singh
  • Oct 7 2024 8:27AM

शारदीय नवरात्रि शुरुआत 3 अक्टूबर यानी गुरुवार से हो चुकी है। इस बार नवरात्रि 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक चलेगी। प्रतिपदा तिथि पर कलशस्थापना के साथ ही नवरात्रि का महापर्व शुरू हो चुका है। इस वर्ष देवी मां पालकी पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही हैं। देवी दुर्गा विश्व की माता हैं, मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा करने से सभी कष्ट, रोग, दोष, दुख और दरिद्रता का नाश हो जाता है। नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित है। ऐसे में आइए जानते है कि नवदुर्गा के पांचवें स्वरुप स्कंदमाता की क्या मान्यता है और माता रानी की उपासना विधि से क्या लाभ होता है। 

कौन है स्कंदमाता ?

नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है। कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। देवी मां की चार भुजाएं हैं और वह कमल के फूल पर विराजमान हैं। इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं। इनकी पूजा करने से स्वयं कार्तिकेय की पूजा हो जाती है। स्कंदमाता की पूजा से बृहस्पति से संबंधित परेशानियां दूर हो जाती हैं। मां की पूजा से संतान प्राप्ति की हर तरह की समस्या दूर हो जाती है।

कैसे करें देवी स्कंद माता की पूजा?

स्कंदमाता की पूजा से आसानी से संतान की प्राप्ति होती है। यदि संतान के कारण कोई कष्ट हो रहा हो तो वह भी समाप्त हो जाता है। स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल चढ़ाएं और पीली वस्तुएं अर्पित करें। अगर पीले रंग के कपड़े पहने जाएं तो पूजा का परिणाम बेहद शुभ होगा. बच्चों के लिए प्रार्थना करें। 

स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, देवी स्कंदमाता की पूजा का शुभ समय सुबह 11:40 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा।

स्कंदमाता का प्रार्थना मंत्र 

सिंहासन नित्यं पद्माश्रितकतद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
और ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:

संतान प्राप्ति का विशेष मंत्र 

“नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा। ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी"

स्कंदमाता पूजा का महत्व

मां सबकी मनोकामना पूरी करती हैं. उनकी भक्ति से हम इस संसार में सुख का अनुभव करते हैं। उनकी भक्ति से सारे द्वार खुल जाते हैं। इनकी पूजा के साथ-साथ कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है, सूर्यमंडल की देवी होने के कारण यह तेज से भरपूर हैं। सच्चे मन से उनकी पूजा करना बहुत लाभकारी होता है। देवी पुराण के अनुसार इस दिन 5 कन्याओं को भोजन कराया जाता है। इस दिन महिलाएं हरे या पीले रंग के कपड़े पहनती हैं।

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