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मंदिरों का सरकारीकरण की जगह समाजीकरण हो... तिरुपति मंदिर में प्रसादम् विवाद के बाद विहिप की अपील

Tirupati Laddu Row: डॉ. सुरेंद्र जैन ने तिरुपति लड्डू मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की, ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।

Ravi Rohan
  • Sep 24 2024 9:14PM

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने तिरुपति मंदिर में प्रसादम् के गंभीर अपमान पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री, डॉ. सुरेंद्र जैन, ने कहा है कि अब मंदिरों का सरकारीकरण नहीं, बल्कि समाजीकरण की आवश्यकता है।

उन्होंने इस गंभीर मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की, ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके। जैन ने यह भी सुझाव दिया कि भगवान के भक्तों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।

डॉ. जैन ने बताया कि तिरुपति बालाजी मंदिर के महाप्रसाद की पवित्रता पर हिंदुओं की गहरी आस्था होती है। हाल ही में, प्रसाद के निर्माण में घी में गाय और सूअर की चर्बी और मछली के तेल की मिलावट के बारे में गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह खबर हिंदू समाज में व्यापक आक्रोश पैदा कर रही है, और उनका गुस्सा विभिन्न रूपों में व्यक्त हो रहा है।

डॉ जैन ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि "तिरुपति बालाजी मन्दिर का संचालन आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित बोर्ड करता है। वहां केवल महाप्रसाद निर्माण के मामले में ही हिंदू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया गया अपितु, हिंदुओं के द्वारा अत्यंत श्रद्धा भाव से अर्पित की गई देव राशि (चढ़ावा) के सरकारी अधिकारियों व राजनेताओं द्वारा दुरुपयोग के भी कष्टकारी समाचार मिलते रहते हैं। कई बार तो हिंदुओं के धर्म पर आघात कर हिंदुओं का धर्मांतरण करने वाली संस्थाओं को इस पवित्र राशि से अनुदान देने के समाचार भी मिलते रहे हैं। इस प्रकार के समाचार तमिलनाडू, केरल व कर्नाटक से भी मिल रहे हैं।"

डॉ जैन ने कहा कि "तिरुपति बालाजी व अन्य स्थानों पर की जा रही अनियमितताओं के कारण अब हिंदू समाज का यह विश्वास और दृढ़ हो गया है कि अपने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराए बिना उनकी पवित्रता को पुनर्स्थापित नहीं किया जा सकता। यह स्थापित मान्यता है कि हिंदू मंदिरों की संपत्ति व आय का उपयोग मंदिरों के विकास व हिंदुओं के धार्मिक कार्यों के लिए ही होना चाहिए। 'हिंदू आस्था की सम्पत्ति हिंदू कार्यों के लिए।' यह सर्वमान्य सिद्धांत है। वास्तविकता यह है कि हिंदू मंदिरों की आय व संपत्ति की खुली लूट अधिकारियों व राजनेताओं के द्वारा तो की ही जाती है कई बार उनके चहेते हिंदू विरोधियों द्वारा भी की जाती है।

विश्व हिंदू परिषद सरकार से आग्रह करती है कि उनके द्वारा अवैधानिक और अनैतिक कब्जों में लिए गए सभी मंदिरों को अविलंब मुक्त करके हिंदू संतो व भक्तों को एक निश्चित व्यवस्था के अन्तर्गत सौंप दें। हमें विश्वास है कि परस्पर विमर्श से ही हमारे मंदिर हमको वापस मिल जाएंगे और हमें व्यापक आंदोलन के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा।

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