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— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 30, 2024
आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन 'हूल दिवस' के रूप में मनाते हैं. यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था. मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है. 2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था. दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ. मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रकिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं.
मन की बात के 111 वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "अगले महीने इस समय तक पेरिस ओलंपिक शुरू हो चुके होंगे. मुझे विश्वास है कि आप सब भी ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने का इंतज़ार कर रहे होंगे. मैं भारतीय दल को ओलंपिक खेलों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं. हम सबके मन में टोक्यो ओलंपिक की यादें अब भी ताज़ा हैं. टोक्यो में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने हर भारतीय का दिल जीत लिया था. टोक्यो ओलंपिक के बाद से ही हमारे एथलीट पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए थे. सभी खिलाड़ियों को मिला दें तो इन सबने क़रीब 900 अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है. ये काफ़ी बड़ी संख्या है.
वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था. ये हुआ था 1855 में यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था. तब झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था.
मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे - “माँ”.हम सबके जीवन में 'माँ' का दर्जा सबसे ऊँचा होता है. माँ हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है. हर माँ अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है. जन्मदात्री माँ का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता.
हम माँ को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या. इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है - 'एक पेड़ माँ के नाम'. मैंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है. मैंने सभी देशवासियों से, दुनिया के सभी देशों के लोगों से ये अपील की है कि अपनी माँ के साथ मिलकर या उनके नाम पर एक पेड़ जरूर लगाएं. मुझे ये देखकर बहुत खुशी हो रही है कि माँ की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है.
हर कोई अपनी माँ के लिए पेड़ लगा रहा है, चाहे वो अमीर हो या गरीब, चाहे वो कामकाजी महिला हो या गृहिणी. इस अभियान ने सबको माँ के प्रति अपना स्नेह जताने का समान अवसर दिया है. इन रंग-बिरंगे छातों को केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं. आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं. इनकी Online बिक्री भी हो रही है. इन छातों को 'वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी' की देखरेख में बनाया जाता है. इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है.
इस महीने पूरी दुनिया ने 10वें योग दिवस को भरपूर उत्साह और उमंग के साथ मनाया है. मैं भी जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित योग कार्यक्रम में शामिल हुआ था. कश्मीर में युवाओं के साथ-साथ बहनों-बेटियों ने भी योग दिवस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. जैसे-जैसे योग दिवस का आयोजन आगे बढ़ रहा है, नए-नए records बन रहे हैं.
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