केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को भी दिल्ली जैसे संवैधानिक अधिकार देने की तैयारी कर ली है। जम्मू-कश्मीर के एलजी को भी अब दिल्ली के एलजी इतना ही प्रशासनिक शक्तियां दी जाएंगी। दरअसल, विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रखते हुए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ताकत बढ़ा दी है। इससे पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 55 में संशोधन किया है। जिसमें ओलजा को अधिक शक्ति देने वाली नई धाराएं शामिल की गई है।
हालांकि जब से जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन हुआ है तब से वहां चुनाव नहीं हुए है। लेकिन कुछ ही दिनों में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले है। अब एलजी के पावर को बढ़ाने के बाद अगर चुनाव होंगे और सरकार का गठन होगा तो चुनी हुई सरकार से ज्यादा शक्तियां उपराज्यपाल के पास रहेंगी। ये शक्तियां ठीक वैसी ही है जैसे दिल्ली के एलजी के पास है।
उपराज्यपाल को क्या शक्तियां मिली है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के एलजी के पावर को बढ़ा दिया है। मोदी सरकार ने ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स में संशोधन किया है। एलजी को अब अखिल भारतीय सेवाओं, सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था आदि के मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे। एडवोकेट जनरलों और अन्य कानून अधिकारियों की नियुक्तियों को भी अब से मंजूरी के लिए मुख्य सचिव द्वारा एलजी के समक्ष रखाना होगा। आसान भाषा में समझाए तो अगर जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री चुन भी लिया जाता है तो उपराज्यपाल उससे ज्यादा ताकतवर ही रहेंगे।
नियम में क्या है बदलाव ?
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों में इसको जोड़ा गया है-
42A- 42ए के तहत कोई भी प्रस्ताव जिसके लिए अधिनियम के तहत पुलिस सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सोवा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति जरूरी है। तब तक स्वीकृत या अस्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाता है।
42B- 42बी के तहत अभियोचन स्वीकृति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि विभाग द्वारा मुक्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा।