ईडी ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी कथित शराब घोटाले के सिलसिले में की गई। भिलाई में चैतन्य बघेल के ठिकानों के अलावा, राज्य में अन्य व्यक्तियों से जुड़े ठिकानों पर भी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की गई।
भूपेश बघेल के निवास पर छापेमारी
बताया गया है कि केंद्रीय एजेंसी ने भूपेश बघेल के घर पर सुबह-सुबह छापेमारी की। इस दौरान उनके ऑफिस की ओर से एक ट्वीट भी किया गया जिसमें लिखा गया, "सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत में बर्खास्त कर दिया गया तो आज ED के मेहमानों ने पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई निवास में आज सुबह प्रवेश किया है। अगर इस षड्यंत्र से कोई पंजाब में कांग्रेस को रोकने का प्रयास कर रहा है, तो यह गलतफहमी है।"
राज्य के खजाने को भारी नुकसान
ईडी ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ, जबकि शराब सिंडिकेट ने कथित तौर पर अपराध की आय के रूप में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की। इस मामले में राज्य सरकार के अधिकारियों और व्यापारियों सहित कई व्यक्तियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
घोटाले की विस्तृत जांच
ईडी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में जांच कर रही है और इस मामले में ईडी व एसीबी में FIR भी दर्ज कराई गई है। FIR में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की बात कही गई है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
घोटाले में अवैध लाभ की कमाई के आरोप
एजेंसी का दावा है कि 2019-23 की अवधि के दौरान अवैध लाभ में अनिल टुटेजा का एक महत्वपूर्ण हाथ था। यह पैसा कथित तौर पर डिस्टिलर्स से ली गई रिश्वत और सरकारी शराब की दुकानों द्वारा देशी शराब की बेहिसाब बिक्री के माध्यम से कमाया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 8 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले को खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि इसमें अपराध की कोई आय नहीं थी।