सनातन धर्म में तुलसी को विशेष पवित्रता और धार्मिकता का प्रतीक माना गया है। तुलसी, जिसे वृंदा भी कहा जाता है, को हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी या द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम के साथ विवाह सूत्र में बांधा जाता है। इसे तुलसी विवाह के नाम से जाना जाता है।
देवउठनी एकादशी, जो इस दिन मनाई जाती है, का विशेष महत्त्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, और उसके बाद से विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह का महत्व, इसकी तिथि, और इसकी पूजा में उपयोग होने वाली सामग्रियों के बारे में विस्तार से।
तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में तुलसी विवाह के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है। तुलसी पहले वृंदा नामक एक स्त्री थी, जो असुर जालंधर की पत्नी थी। वृंदा की पतिव्रता होने के कारण उसे वरदान प्राप्त था कि उसके पतिव्रत धर्म के चलते जालंधर अजेय रहेगा। देवताओं के लिए जालंधर को हराना कठिन हो गया था। तब भगवान विष्णु ने छलपूर्वक जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के पतिव्रत धर्म को भंग कर दिया।
इसके बाद देवताओं ने जालंधर का वध कर दिया, जिससे वृंदा अत्यंत क्रोधित हो गई और उसने विष्णु को पत्थर में बदलने का शाप दे दिया। भगवान विष्णु ने इस शाप को सहर्ष स्वीकार कर लिया और शालिग्राम बन गए। बाद में, भगवान विष्णु ने वृंदा की भक्ति को सम्मान देते हुए उससे विवाह किया और उसे तुलसी का रूप प्रदान किया। तभी से हर साल तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराने की परंपरा का आरंभ हुआ, जिसे सनातन धर्म के अनुयायी बड़े आदर और श्रद्धा के साथ निभाते हैं।
तुलसी विवाह 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष तुलसी विवाह का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन देवउठनी एकादशी भी है, जो शाम 4 बजकर 4 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ होगी, जो अगले दिन दोपहर 1 बजकर 1 मिनट तक चलेगी। चूंकि तुलसी विवाह प्रदोष काल में किया जाता है, इस साल इसका शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 53 मिनट के बीच है।
तुलसी विवाह के लिए आवश्यक सामग्री
तुलसी विवाह के लिए घर में तुलसी का पौधा होना अनिवार्य है। इस दिन घर के आंगन में केले के पत्तों से मंडप सजाया जाता है और परिवार व मित्रों को इस धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। तुलसी के लिए शादी के आवश्यक सामान जैसे साड़ी, लाल चुनरी, बिछुए, सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, मांगटीका, मेंहदी, इत्र, काजल, और पायल आदि एकत्रित किए जाते हैं। इस दिन तुलसी का विशेष श्रृंगार किया जाता है और भगवान शालिग्राम के साथ इसका विवाह किया जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
तुलसी विवाह के लिए सामग्री की सूची
अगर आप इस बार तुलसी विवाह कराना चाहते हैं, तो नीचे दी गई सामग्रियों को पहले से एकत्रित कर लें:
तुलसी का पौधा और शालिग्राम विग्रह
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
लकड़ी की चौकी और उस पर बिछाने के लिए कपड़ा
धूप, दीप, रोली, अक्षत, कुमकुम, हल्दी की गांठ, फूल, फूलों की माला
बताशे, मिठाई, सिंघाड़ा और गन्ना
इस पवित्र आयोजन में तुलसी और शालिग्राम के विवाह का विशेष महत्त्व है, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है।