डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों पूरे जोश में हैं और राष्ट्रपति पद की शपथ से पहले ही अपनी कैबिनेट के लिए कई महत्वपूर्ण नियुक्तियां कर चुके हैं। उन्होंने भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को भी अपनी टीम में शामिल किया है।
टेस्ला के सीईओ एलॉन मस्क के साथ, रामास्वामी को DOGE विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद की दावेदारी छोड़ने के बाद, रामास्वामी ने ट्रंप को समर्थन देने का ऐलान किया, जिससे वे ट्रंप के विश्वासपात्र बन गए।
ट्रंप के विश्वासपात्र कैसे बने रामास्वामी?
पहले चुनाव में ट्रंप के विरोध में खड़े रामास्वामी अब उनके करीबी सहयोगी बन गए हैं। रामास्वामी की विचारधारा और कई मुद्दों पर ट्रंप के साथ मेल खाती है। ट्रंप पहले भी रामास्वामी को अमेरिका का सच्चा देशभक्त कह चुके हैं, और यह समर्थन ट्रंप के एजेंडे में विविधता का संकेत देता है।
अवैध प्रवासियों पर समान विचार
रामास्वामी ने कई बार कहा है कि यदि वे राष्ट्रपति बनते, तो वे अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने का कदम उठाते। वे साफ तौर पर मानते हैं कि अमेरिका में गैरकानूनी तरीके से रह रहे लोगों पर किसी तरह की रियायत नहीं होनी चाहिए। इस मामले में रामास्वामी और ट्रंप की सोच पूरी तरह से एक जैसी है। दोनों अमेरिका में अवैध प्रवास को रोकने और देश की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के पक्षधर हैं।
हिंदुत्व का गौरव
एक घटना में, जब एक मतदाता ने रामास्वामी के धर्म के बारे में पूछा, तो उन्होंने गर्व से कहा कि वे हिंदू हैं और धार्मिक स्वतंत्रता के मजबूत समर्थक हैं। उन्होंने अपने हिंदू होने को खुलकर अपनाया और कहा कि वे किसी दिखावे के लिए धर्म नहीं बदल सकते। रामास्वामी का ये रुख ट्रंप की टीम में विविधता और धार्मिक सहिष्णुता का भी संदेश देता है।
चीन के कट्टर आलोचक
रामास्वामी चीन को अमेरिका के लिए एक बड़ा खतरा मानते हैं। उन्होंने खुले तौर पर चीन की नीतियों की आलोचना की है और कहा है कि अमेरिका को चीन पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए। रामास्वामी 'अमेरिका फर्स्ट' के सिद्धांत के समर्थक हैं और मानते हैं कि संघीय सरकार को कम से कम नौकरशाही में उलझना चाहिए ताकि अमेरिका अपनी विदेशी नीति में स्वतंत्र और सुरक्षित रह सके।
विवेक रामास्वामी का परिचय
विवेक रामास्वामी, 39 वर्षीय टेक उद्यमी हैं। उनका जन्म एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता केरल से अमेरिका आकर ओहायो में बस गए थे। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बायोलॉजी की पढ़ाई की और बाद में येल लॉ स्कूल से कानून की डिग्री प्राप्त की। बिजनेस के क्षेत्र में रामास्वामी ने एक बायोटेक कंपनी Roivant Sciences की स्थापना की थी, जो दवाइयों के पेटेंट खरीदती है। 2021 में उन्होंने इस कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा दिया, और 2023 में उनकी संपत्ति लगभग 63 करोड़ डॉलर आंकी गई थी।
इस प्रकार, विवेक रामास्वामी ने अपनी अलग पहचान बनाते हुए ट्रंप की टीम में जगह पाई है और उनके साथ मिलकर अमेरिका को मजबूत करने का संकल्प लिया है।