हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष रूप से भगवान विष्णु और शिवजी के भक्तों द्वारा मनाई जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन को विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण होता है, जहां इसे "वैकुंठ एकादशी" के नाम से भी जाना जाता है। तो यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि।
पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 14 नवंबर 2024 को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगी। वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर हो जाएगा। इस दिन पूजा निशिता काल में की जाती है इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी का पूजन 14 नवंबर 2024 को किया जाएगा। इस दिन की पूजा से जहां भक्तों को मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है, वहीं घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास भी होता है।
पूजा विधि
स्नान और व्रत: पूजा का आरंभ सुबह जल्दी स्नान करके व्रत रखने से करना चाहिए। इस दिन भक्त विशेष रूप से उपवासी रहते हैं और अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं।
विष्णु पूजा: सबसे पहले भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें सफेद चंदन, फूल, तुलसी दल अर्पित करें। साथ ही, श्री विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें।
दीप जलाना: घर में दीप जलाना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन घर के प्रत्येक कोने में दीपक रखें और वातावरण को शुद्ध करें।
शिव पूजा: इसके बाद शिवजी की पूजा करें, उन्हें बेलपत्र, दूध, शहद और गंगा जल अर्पित करें। शिवलिंग पर दीपक लगाकर ऊं नमः शिवाय का जाप करें।
वैकुंठ द्वार दर्शन: दक्षिण भारत में इस दिन विशेष रूप से वैकुंठ द्वार दर्शन की परंपरा है, जिसमें भक्त भगवान विष्णु के साथ ही भगवान शिव के दर्शन करने के लिए मंदिर जाते हैं।