उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महाराजा अग्रसेन टेक्नीकल एजुकेशन सोसाइटी के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान, उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी उद्यमियों का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि वाणिज्य और व्यवसाय से जुड़े लोगों पर व्यवस्था की मार नहीं पड़नी चाहिए। क्योंकि ये लोग ही नौकरी और संपत्ति के सृजनकर्ता होते हैं। इसलिए, इन लोगों का समाज में सम्मान मिलना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक राष्ट्रवाद का सिद्धांत कुछ व्यक्तियों के वित्तीय लाभ से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति ने क्या कहा?
जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह वर्ग नौकरी और संपत्ति का सृजन करता है और सामाजिक सद्भाव में महत्वपूर्ण योगदान देता है। ये लोग वास्तव में अर्थव्यवस्था के चालक होते हैं। इन लोगों ने इस देश में समाज को कुछ वापस देने की कला सीखी है। जगदीप धनखड़ ने आर्थिक राष्ट्रवाद के सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि विदेशी मुद्रा बचाने तथा स्थानीय उद्योग को फलने-फूलने में सहायता करने के लिए अनावश्यक आयात पर अंकुश लगाना चाहिए। जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति अर्थात् एनईपी की तारीफ करते हुए कहा कि यह तीन दशकों की गहन चर्चा के बाद विकसित हुई। जिसमें हजारों इनपुट शामिल थे। धनखड़ ने कहा कि यह अनुभवात्मक शिक्षा, आलोचनात्मक चिंतन के साथ-साथ अनुसंधान के लिए उद्योग और अकादमिक साझेदारी को भी सक्षम बनाता है।
विभिन्न विचारों का सम्मान करना चाहिए
जगदीप धनखड़ ने कहा कि छात्रों को विभिन्न विचारों का सम्मान करना चाहिए। साथ ही, सामाजिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए दूसरे के दृष्टिकोण को कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सहिष्णुता एक गुण है जो हमारी सभ्यता के चरित्र में गहराई से समाया हुआ है।