छत्तीसगढ़ कोल स्कैम मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई और निलंबित राप्रसे अधिकारी सौम्या चौरसिया लगातार घिरते जा रहे हैं। ईओडब्ल्यू एसीबी ने तीनों अधिकारियों के खिलाफ इस मामले प्राथमिकी दर्ज कर लिया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में यह कार्रवाई हुई है। तीनों निलंबित अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि अपराध क्रमांक 22, 23 और 24 है।
पैसे पर जारी होता था पास
बता दें की, ईडी की रेड के दौरान छत्तीसगढ़ के रायपुर में अवैध कोल लेवी वसूली का मामला में सामने आया था। जिसमें यह दावा किया गया था कि. कोल परिवहन में कोयला व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। इसके लिए आदेश खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को दिया था।
वसूली करने के लिए सिंडिकेट बना जाता था। पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना जा रहा है। खनिज विभाग पीट पास और परिवहन पास जारी करने के लिए 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से जमा करना पड़ता था। जब व्यापारी अवैध रकम सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा करते थे तभी काम होता था। इस प्रकार से सिंडिकेट बनाकर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई।
अचल सम्पति का खुलासा
ईओडब्ल्यू ने निलंबित राप्रसे सौम्या चौरसिया और उसके परिवार के नाम पर 9 करोड़ 20 लाख रुपए की 29 अचल संपत्ति होने की पुष्टि की है। जो कि वर्ष 2021 से 2022 के बीच खरीदी गई है संपत्ति है। वहीं निलंबित आईएएस रानू साहू पर वर्ष 2015 से 2022 तक करीब चार करोड़ रुपए की अचल संपत्ति स्वयं के नाम से और पारिवारिक सदस्यों के नाम से अर्जित करने का आरोप है।
जबकि रानू के सेवा में आने के बाद से 2022 तक का कुल वेतन 92 लाख रुपए बताया गया है। निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई का वर्ष 2010 से 2022 तक का कुल वेतन 93 लाख रुपए करीब था। इस दौरान ही उन्होंने अपनी पत्नी प्रीति गोधरा के नाम से 5 करोड़ रुपए की कई अचल संपत्ति खरीदी थी। यह इनके वेतन से 500 गुना अधिक है।