दिवाली के त्योहार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह हिंदुओं का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोषव्यापिनी अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष, दिवाली का पर्व कब मनाया जाएगा। तो यहां जानें सही तिथि और सब कुछ।
दिवाली का त्यौहार धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व से भरा हुआ है। हिंदू धर्म में इसे भगवान राम के अयोध्या लौटने और रावण वध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसी दिन माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। इसके अलावा, इस दिन भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है।
कब है दिवाली?
शास्त्रों के अनुसार दिवाली हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, लेकिन इस बार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर और 01 नवंबर दोनों दिन पड़ने के कारण असमंजस की स्थिति है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:12 बजे शुरू होगी, जो 01 नवंबर को शाम 05:14 बजे तक रहेगी। इसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी. वैदिक कैलेंडर के अनुसार, दिवाली पर लक्ष्मी पूजा हमेशा अमावस्या तिथि और प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से देर रात तक की जाती है. ऐसे में 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और निशिता काल के शुभ समय में दिवाली मनाना शुभ रहेगा.
दिवाली के उत्सव की तैयारी
दिवाली के लिए लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं। इस अवसर पर रंगोली बनाई जाती है, दीयों और मोमबत्तियों से घरों को सजाया जाता है। मिठाइयों और पकवानों की तैयारी भी धूमधाम से की जाती है। परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर दीवाली का जश्न मनाना इस पर्व की खासियत है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं और शुभकामनाएं देते हैं।
धार्मिक अनुष्ठान
दिवाली के दिन, सुबह जल्दी स्नान करके घर में लक्ष्मी पूजन किया जाता है। रात को अमावस्या के समय, दीप जलाकर और पटाखे फोड़कर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने पालतू जानवरों का भी खास ख्याल रखते हैं, क्योंकि इस दिन धन के साथ-साथ समृद्धि और खुशहाली का भी स्वागत किया जाता है।
दिवाली का पर्व न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में भारतीय समुदाय के बीच मनाया जाता है। यह एक ऐसा अवसर है जब लोग आपसी प्रेम, भाईचारे और सद्भावना को बढ़ावा देते हैं। इस दिवाली, हमें अपने आसपास की दुनिया को और बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए।