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Holika Dahan 2025: देशभर में कल मनाई जाएगी होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

होलिका दहन कल मनाई जाएगी।

Rashmi Singh
  • Mar 12 2025 2:15PM

इस साल होली का पर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन इससे पहले, 13 मार्च को परंपरा के अनुसार होलिका दहन किया जाएगा, जिसे 'छोटी होली' भी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त गुरुवार, 13 मार्च को रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से लेकर रात्रि 12 बजकर 30 मिनट तक होगा, यानी कुल 1 घंटे 4 मिनट का समय मिलेगा। इस समय का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है और इसी दौरान होलिका दहन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

होलिका दहन पूजा सामग्री

होलिका दहन की पूजा में कुछ खास सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

1. घर की बनी गुजिया
2. कच्चा सूती धागा
3. नारियल
4. गुलाल पाउडर
5. रोली
6. अक्षत
7. धूप
8. फूल
9. गाय के गोबर से बनी गुलरी
10. बताशे
11. नया अनाज
12. मूंग की साबुत दाल
13. हल्दी का टुकड़ा
14. एक कटोरी पानी
इन सामग्रियों का उपयोग होलिका दहन की पूजा को विधिपूर्वक संपन्न करने के लिए किया जाता है।

होलिका दहन पूजा विधि

होलिका दहन से पहले कुछ विशेष धार्मिक कार्यों को करना महत्वपूर्ण होता है:

1. सबसे पहले, स्नान करें।
2. फिर, होलिका पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके आसन ग्रहण करें।
3. पूजा स्थल पर गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की मूर्तियां बनाएं।
4. पूजा में प्रसाद के रूप में फूलों की माला, रोली, धूप, कच्चा कपास, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच या सात प्रकार के अनाज, नया गेहूं और अन्य फसलों की बालियां रखें।
5. मिठा भोजन, मिठाई, फल और बड़े फूलों वाले सामान भी होलिका में चढ़ाएं।
6. इसके बाद भगवान नरसिंह की पूजा करें और सात बार होलिका की अग्नि की परिक्रमा करें।
7. परिक्रमा करते हुए घर के कल्याण के लिए प्रार्थना करें।

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन का महत्व अच्छाई की बुराई पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती। उसने भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का प्रयास किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। यह घटना अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक बनी और तभी से होलिका दहन को बुराई को नष्ट करने और अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

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