इन दिनों उत्तराखंड में मां नंदा उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। वहीं नैनीताल जिले में मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। बता दें कि कोरोना महामारी के दो साल बाद आयोजित हो रहे इस भव्य महोत्सव में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है।
ये है मान्याता
मान्यता है कि कुमाऊं की कुल देवी मां नंदा सुनंदा अष्टमी के दिन ससुराल से अपने मायके यानी कुमाऊं की धरती पर पधारी थीं और इसका आयोजन भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन उत्तराखंड के विभिन्न शक्ति स्वरूपा मां नंदा के मंदिरों में किया जाता है। बता दें कि उत्तराखंड के लोग नंदादेवी को अपनी अधिष्ठात्री देवी मानते हैं और यहां की लोककथाओं में उन्हें हिमालय की पुत्री कहा गया है, अर्थात वे माता पार्वती हैं। हर वर्ष उत्तराखंड की जनता द्वारा मां नंदा-सुनंदा की पूजा-अर्चना पूर्ण भक्ति भाव के साथ की जाती है।
मां नंदा सुनंदा के दर्शनों के लिए सुबह 3 बजे से ही नैनीताल के मां नयना देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। बड़ी संख्या में भक्त अपनी कुल देवी के दर्शनों को पहुंच रहे हैं। इससे पहले सुबह 2 बजे से मां की पूजा अर्चना शुरू हो गई थी। जिसके बाद से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया।
वहीं इस महोत्सव पर बीते शुक्रवार को विधायक सरिता आर्य सांसद प्रतिनिधि गोपाल रावत, भाजपा मंडल अध्यक्ष आनंद बिष्ट, विश्वकेतु, विक्रम रावत आदि लोगों ने मां नंदा सुनंदा का आशीर्वाद लिया।
27 सितंबर को भव्य डोला भ्रमण के बाद मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं को नैनी झील में विसर्जन किया जाएगा। यह परंपरा ऐसा लगता है कि लोग अपनी बेटी को ससुराल भेज रहे है।