विदेश मंत्री एस. जयशंकर मुंबई में आदित्य बिरला स्कॉलरशिप प्रोग्राम में भाग लेने पहुंचे। इस दौरान, उन्होंने कहा कि भारत उन देशों में नहीं हैं जो अमेरिका को लेकर चिंता में हैं। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि आज बहुत से देश अमेरिका को लेकर घबराए हुए हैं, किंतु हमारा देश उनमें से नहीं है। एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और पीएम मोदी ने अमेरिका के कई राष्ट्रपतियों के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं।
जयशंकर ने क्या कहा?
विदेश मंत्री ने कहा कि औपनिवेशिक काल के बाद जिन देशों को आजादी मिली, उन्होंने अपनी नीतियां स्वयं चुननी शुरु कर दी। इसलिए, उनका आगे बढ़ना भी तय था। इनमें से कुछ बहुत तेजी से बढ़े, कुछ धीमी गति से बढ़े। तो कुछ बेहतर तरीके से बढ़े। जिससे वहां शासन की गुणवत्ता और नेतृत्व की गुणवत्ता आई। विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम में औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वे प्रमुख निवेश लक्ष्य बने हुए हैं।
वैश्विक शक्ति की गतिशीलता के बारे में जयशंकर ने क्या कहा?
एस. जयशंकर ने वैश्विक गतिशीलता के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अगर आप हमारे आर्थिक वजन को देखते हैं तो आप हमारी आर्थिक रैकिंग को देखते हैं। आप भारतीय कॉरपोरेट जगत, उनकी मौजूदगी, उनकी पहुंच और भारतीय पेशेवरों को देखते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पुनर्संतुलन हुआ है। जयशंकर ने कहा कि ज्यादा विविधतापूर्ण, बहुध्रुवीय विश्व की तरफ रुझान है, किंतु एक ऐसा दौर भी है जब भारत वास्तव में आगे बढ़ते हैं। जयशंकर ने कहा कि यह वैसा ही है जैसा कॉरपोरेट जगत में भी हुआ है। सनद रहे कि मुंबई के इस आदित्य बिरला स्कॉलरशिप प्रोग्राम में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और पॉलिटिकल फिलॉसफर मिशेल जे. सेंडल और आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला भी मौजूद थे।