झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने सख्त कार्रवाई की है। दरअसल, योगी सरकार ने कार्रवाई करते हुए मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को हटाकर उन्हें निदेशालय ने संबद्ध कर दिया है। इस बात की जानकारी खुद यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने दी है।
जानकारी के अनुसार, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने निर्देश पर गठित 4 सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज के प्रिसिंपल को हटा दिया गया है। साथ ही तीन अन्य को निलंबित कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर को पद से हटा दिया गया है। उन्हें चिकित्सा शिक्षा विभाग महानिदेशालय से संबद्ध किया गया है। इसके साथ ही मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सचिन माहुर को आरोप पत्र दिया गया है। वहीं, कॉलेज के जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) संजीत कुमार, एनआईसीयू वार्ड की प्रभारी नर्सिंग सिस्टर संध्या राय और मेडिकल कॉलेज की प्रमुख अधीक्षक डॉ. सुनीता राठौड़ को तत्काल निलंबित कर दिया गया और आरोप पत्र दिया गया है।
इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट शेयर किया। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड की दुर्भाग्यपूर्ण एवं दु:खद घटना का संज्ञान लेते हुए मेरे द्वारा दिये गए निर्देश के क्रम में प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा द्वारा महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय एक कमेटी गठित कर जाँच कराई गई। जाँच रिपोर्ट प्राप्त होने पर मेरे द्वारा गहन समीक्षा कर घटना में दोषी कतिपय अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की गयी है। जनमानस की पीड़ा हमारी पीड़ा है और सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है।
कैसे लगी आग?
शुरुआती जांच में हादसे का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। एसएसपी ने कहा, 'इस घटना के पीछे किन परिस्थितियों या लापरवाही के कारण आग लगी, इसकी विस्तृत जांच की जा रही है।' उन्होंने यह भी बताया कि हादसे के बाद कुछ माता-पिता अपने बच्चों को घर ले गए. एनआईसीयू में भर्ती बच्चों की स्थिति की जांच की जा रही है। मेडिकल कॉलेज ने बताया कि हादसे के वक्त एनआईसीयू में 52 से 54 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 10 की मौत हो गई और 16 का इलाज चल रहा है।