रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' के विज़न को साकार करने के लिए भारतीय युवाओं से अपील की है कि वे उच्च तकनीकों का स्वदेशी विकास करें, जिन्हें वर्तमान में देश आयात करता है। उन्होंने यह बात 2 नवंबर 2024 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के 65वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान कही।
रक्षा मंत्री ने 'तकनीक' को आज हर क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तनों का सबसे बड़ा कारक बताया, जहां देश अग्रणी तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में महारत हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं ताकि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में अपनी स्थिति मजबूत कर सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि तकनीकी विकास के आधार पर देशों को तीन समूहों में बांटा जा सकता है—पहला समूह उन देशों का है जो उन्नत तकनीकों में शीर्ष पर हैं, दूसरा जो स्थिर अवस्था में हैं, और तीसरा जो तकनीकी विकास की ओर अग्रसर हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत वर्तमान में तकनीकी विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है और शीर्ष स्थान पाने की ओर अग्रसर है। उन्होंने युवाओं से अपने अंतर्निहित क्षमता को पहचानते हुए देश की प्रगति में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने IIT कानपुर जैसे संस्थानों को ‘शैक्षिक इंजन’ कहा, जो प्रतिस्पर्धी माहौल में भारत को एक अग्रणी स्थान दिला सकते हैं।
रक्षा मंत्री ने वैश्विक रक्षा क्षेत्र में तकनीक की बढ़ती भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि ड्रोन, लेज़र युद्ध, साइबर युद्ध, सटीक मिसाइलों और हाइपरसोनिक मिसाइलों के उपयोग ने युद्ध को तकनीक-केंद्रित बना दिया है। उन्होंने कहा, "रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हमें कुछ उच्च तकनीकों के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। बदलते युद्ध परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीकों के रक्षा अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।"
उन्होंने इस दिशा में सरकार की पूर्ण सहयोग की प्रतिबद्धता व्यक्त की और कहा कि निजी क्षेत्र और शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। राजनाथ सिंह ने कहा, "हमने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखा है, जो युवाओं की ताकत से संभव होगा।"
सरकार द्वारा रक्षा में आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने इनोवेशन्स फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) पहल का उल्लेख किया, जो इनोवेटर्स और स्टार्टअप्स को 1.5 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान करता है। उन्होंने ADITI योजना का भी जिक्र किया, जो रक्षा तकनीकों में महत्वपूर्ण और रणनीतिक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप्स को 25 करोड़ रुपये तक का अनुदान प्रदान करती है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार की आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास सफल हो रहे हैं, और रक्षा निर्यात, जो दस साल पहले लगभग 600 करोड़ रुपये था, 2023-24 में रिकॉर्ड 21,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह प्रगति जारी रहेगी और रक्षा निर्यात 2029-30 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
कार्यक्रम में IIT कानपुर द्वारा रक्षा नवाचार पर एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसमें स्टार्टअप्स ने स्वायत्त प्रणाली, AI-आधारित निगरानी, और अगली पीढ़ी के संचार उपकरण जैसे नवाचार प्रस्तुत किए। रक्षा मंत्री ने स्टार्टअप्स के संस्थापकों और अनुसंधान दलों से मुलाकात की और राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके योगदान की सराहना की।
इस अवसर पर कई समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर भी किए गए, जिसमें IIT कानपुर और BEML, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच साझेदारी शामिल थी। इसके अलावा कानपुर विश्वविद्यालय के साथ भी एक साझेदारी की घोषणा की गई, जो नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है। DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत ने छह नए DRDO प्रोजेक्ट्स के लिए स्वीकृति पत्र भी प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में iDEX की रक्षा इंडिया स्टार्टअप चैलेंज 12 और ADITI 2.0 चैलेंज जैसे रक्षा नवाचार के नवीनतम पहलुओं पर चर्चा की गई। समारोह में एक विशेष पौधारोपण भी किया गया, जो तकनीकी और रक्षा प्रगति में IIT कानपुर के योगदान का प्रतीक था।
इस कार्यक्रम में रक्षा उत्पादन सचिव श्री संजीव कुमार, DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत, IIT कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मनींद्र अग्रवाल, और कई विद्यार्थी एवं पूर्व छात्र भी शामिल हुए।