पौष माह में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और आराधना से जुड़ा हुआ है। 2024 में साल का आखिरी प्रदोष व्रत पौष माह में 28 दिसंबर को मनाया जाएगा। प्रदोष व्रत को हर महीने में दो बार मनाया जाता है, एक बार त्रयोदशी तिथि को सूर्योदय से पहले और दूसरी बार सूर्यास्त के समय। पौष माह में यह व्रत विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए शुभ होता है। तो जानिए सही तिथि और कैसे व्रत करें।
कब है पौष कृष्ण पक्ष प्रदोष का व्रत?
पंचांग के अनुसार, पौष माह का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाएगा। इस साल पौष कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 28 दिसंबर को सुबह 2 बजकर 26 मिनट से हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 29 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 28 दिसंबर को पौष माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
कैसे करें प्रदोष व्रत
व्रत का संकल्प लें: प्रदोष व्रत की शुरुआत सूर्यास्त से पहले संकल्प लेने से होती है। संकल्प लें कि आप इस दिन उपवास करेंगे और भगवान शिव की विशेष पूजा करेंगे।
पवित्र स्नान करें: व्रत का पालन करने से पहले पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
शिव पूजा करें: प्रदोष व्रत के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिवलिंग पर दूध, जल, शहद, और चंदन अर्पित करें और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
दीप जलाएं: प्रदोष व्रत में दीपक जलाना भी महत्वपूर्ण होता है। दीपक में घी या तेल डालकर उसे घर के मुख्य स्थान पर रखें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं: व्रत के समापन पर ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत का पालन करने से मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत खासकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ तरीका माना जाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।