सोमवती अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष महत्व होती है, जो विशेष रूप से पितृदोष निवारण के लिए जानी जाती है। यह दिन विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए और उनके आशीर्वाद के लिए समर्पित होता है। इस वर्ष सोमवती अमावस्या 2024, 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह दिन सोमवार को आने वाली अमावस्या होने के कारण और भी अधिक पवित्र होता है। इसे लेकर श्रद्धालु विशेष रूप से तर्पण, पूजा, दान आदि कार्यों में संलग्न रहते हैं। इस दिन कुछ विशेष दान करने से पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
सोमवती अमावस्या पर दान का महत्व
दान का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक बताया गया है। यह दिन पितृों के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का अवसर है। इस दिन किए गए दान से पितृदोष निवारण और जीवन में शांति का मार्ग खुलता है। विशेष रूप से इस दिन निम्नलिखित चीजों का दान करने से पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है।
तिल का दान: तिल का दान करने से पितृों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष दूर होता है। तिल, तर्पण और दान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। तिल और तिल के लड्डू या तिल से बनी वस्तुएं पितरों के आशीर्वाद को प्राप्त करने का साधन मानी जाती हैं।
धन का दान: यह दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने का भी अच्छा अवसर है। जो लोग गरीब हैं, उन्हें अन्न, वस्त्र या धन का दान करके आप पुण्य कमा सकते हैं।
पानी का दान: पानी का दान करने से शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और वहां जल का अर्पण करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
पानी में ताम्बूल और चावल का दान: सोमवती अमावस्या के दिन ताम्बूल (पान का पत्ते और सुपारी) और चावल का दान करने से पितृों को तृप्ति मिलती है और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।