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Shardiya Navratri 2024: कलश स्थापना के साथ शुरू होगा शारदीय नवरात्रि का त्योहार, जानिए घटस्थापना शुभ मुहूर्त, विधि, नियम यहां

शारदीय नवरात्रि की शुरूआत आज यानी गुरूवार से हो रही है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। ऐसे में आइए जानते है, कलशस्थापना शुभ मुहूर्त, विधि और नियम।

Rashmi Singh
  • Oct 3 2024 10:10AM

आज यानी गुरुवार से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। इस बार नवरात्रि 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक चलेगी। आज प्रतिपदा तिथि पर कलशस्थापना के साथ ही नवरात्रि का महापर्व शुरू हो जाएगा। इस वर्ष देवी मां पालकी पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही हैं। देवी दुर्गा विश्व की माता हैं, मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा करने से सभी कष्ट, रोग, दोष, दुख और दरिद्रता का नाश हो जाता है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। इस दिन घटस्थापना के बाद लोग विधि-विधान से देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं। 

आज से श्रद्धालु 9 दिनों तक व्रत रखते हैं और माता रानी की आराधना में लीन रहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलशस्थापना की जाती है। इस साल नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। जानिए घटस्थापना शुभ मुहूर्त, विधि और नियम। 

कलश स्थापना का मुहूर्त 

आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना की जाती है। इस बार प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को दिन भर रहेगी। इसलिए कलश की स्थापना दिनभर की जा सकती है। हालांकि, इसके लिए दो अबूझ मुहूर्त भी रहेगंगे। पहला शुभ मुहूर्त प्रात: 06.24- प्रात: 08.45 बजे तक रहेगा। वहीं  दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 11: 52- दोपहर 12.39 तक रहेगा। 

घटस्थापना सामग्री 

1. सप्त धान्य रोपित करने के लिए एक चौड़ा एवं खुला मिट्टी का पात्र, स्वस्छ मिट्‌टी
2. पवित्र सूत्र, मौली
3. सप्त धान्य (7 प्रकार के अनाज के बीज - जौ, तिल, कंगनी, मूंग, चना, गेंहू, धान)
4. मिट्‌टी का कलश, गंगाजल, शुद्ध जल
5. सिक्का, कलश ढकने के लिए एक पात्र का ढक्कन
6. इत्र, सुपारी
7. अशोक या आम के पांच पत्ते
8. अक्षत
9. जटा वाला नारियल
10. नारियल पर लपेटने के लिए लाल वस्त्र
11. फूल, दूर्वा घास

नवरात्रि में घटस्थापना की विधि 

प्रथम चरण - सबसे पहले मिट्टी के बड़े पात्र में मिट्टी की एक परत बिछायें, अन्न के बीजों को बिखेरें।  फिर एक मिट्‌टी की परत बिछाएं और थोड़ा जल छिड़कें। 

दूसरा चरण - अब एक मिट्‌टी या धातु के कलश पर कलावा (मौली) बांधे और उसमें गंगाजल भरें। कलश के जल में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत,  सिक्का डालें। कलश को ढँकने से पूर्व अशोक वृक्ष के पाँच पत्तों को कलश के मुख पर रखें और फिर उसपर ढक्कन लगा दें।

तीसरा चरण - अब जटा वाले नारियल पर लाल वस्त्र लपेटें और उस पर मौली बांधें। इसे कलश के मुख पर रख दें, इस कलश को उस पात्र के बीचों-बीच स्थापित करें, जिसमें अन्न रोपित किया गया था। 

देवी दुर्गा आवाहन - देवी दुर्गा का आवाहन करते हुये उनसे पूजन स्वीकार करने की प्रार्थना करें तथा देवी माँ से नौ दिवसीय इस अनुष्ठान के समय कलश में निवास करने का अनुरोध करें। 

पंचोपचार पूजा - सर्वप्रथम कलश,आवाहन किये गये सभी देवी-देवताओं के के समक्ष दीप प्रज्वलित करें। धुप, पुष्प, इत्र अर्पित करें. नैवेद्य के रूप में कलश को फल, मिष्ठान चढ़ाएं। 

नवरात्रि में घटस्थापना क्यों होती है ?

कलशस्थापना नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। यह नौ दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। घटस्थापना देवी शक्ति का आह्वान है। 

नवरात्रि के पहले दिन किस देवी की पूजा होती है ?

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। देवी सती के रूप में आत्मदाह करने के बाद, देवी पार्वती ने पर्वत राजा हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया। संस्कृत में शैल का अर्थ पर्वत होता है, इसीलिए देवी को पर्वत की पुत्री शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है।

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