उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हाल ही में राज्य के कांवड़ के मार्ग में पड़ने वाले सभी दुकानदारों को अपने-अपने असली नामों के साथ दुकानदारी करने के निर्देश दिए थे. इस निर्देशों को ठीक तरह से प्रदेश में लागू भी नहीं हुआ था कि इस मुद्दे को देश के कुछ पार्टी और चरमपंथी ने तुल दिया जाने लगा. कुछ नेता तो इस आदेश को मुस्लिमों पर अन्याय और अत्याचार बताने की कोशिश की जाने लगी.
जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया. वहीं, इस आदेश को साधु-संतों बल्कि हिंदू दुकानदारों ने भी इस का विरोध होने पर हैरानी जताई. उन्होंने योगी सरकार के साथ प्रशासन के इस कदम को समाज में शांति व्यवस्था के लिए उचित बताया है.
बता दें कि स्वामी यशवीर महराज ने तो नाम छुपा कर दुकानदारी को बड़ी साजिश का हिस्सा करार दिया. इस मुद्दों को लेकर जब सचाई जानने की कोशिश किया तो कुछ ऐस केस निकल कर सामने आए, जो कहीं न कहीं, प्रशासन को अतिरिक्त सावधानी और सतर्कता बरतने के लिए एक सकेत है.बता दें की इससे पहले कई दुकानों पर ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं, जो समाज की शांति को प्रभावित कर सकती थी. वहीं, इस मुद्दे को प्रशासनिक सतर्कता से कोई बड़ा नुकसान होने से बच गया था.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद का मुरादनगर कांवड़ियों का सबसे बड़ा स्टॉप पॉइंट है. यहां गंगनहर को लोग छोटा हरिद्वार बताते हैं. मुरादाबाद में लम्बी दूरी से आए कांवड़िये स्नान करते हैं और थकान उतारने के बाद आगे की यात्रा शुरू करते हैं. इसी मुरादनगर के कांवड़ मार्ग पर नदीम साल 2022 तक जूस की दुकान चलाता थां कांवड़िये भी यहां जूस पीते थे.
यहां जूस पीने आने वाली शादीशुदा आशा देवी को साल 2021 में उसने अपने प्यार के जाल में फंसा लिया था. करीब 1 साल तक चले इस रिश्ते के बाद नदीम ने सितंबर 2023 में आशा देवी को कुल्हाड़ी से काट डाला था. आशा देवी को मार कर नदीम ने उसके खून से सने कपड़े एक मंदिर के पास छिपा दिए थे.
सबूत मिटाने के लिए नदीम ने आशा देवी का फोन उसी गंगनहर में फेंका था, जहां से कांवड़िये जल भरते हैं और स्नान करते हैं. बाद में नदीम को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस घटना के बाद नदीम के परिवार ने अपना कारोबार गाजियाबाद के मुरादनगर से उत्तर प्रदेश के ही मुरादाबाद में शिफ्ट कर लिया था.
वहीं, उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में प्रमुख कांवर मार्ग पर नवाब खां ढाबा चलाता था. यह ढाबा मंगलौर बाजार के पास लिब्बरहेड़ी नाम की जगह पर था. इसके ढाबे का नाम भी स्थानीय लोगों के अनुसार किसी हिंदू प्रतीक के तौर पर था. नवाब खां के ढाबे के पास ही ओमवीर और शुक्रमपाल नाम के 2 भाइयों की दुकान थी.
जानकारी के लिए बता दें कि यह घटना अगस्त 2018 की है. उस दौरान ओमवीर की दुकान में चोरी हुई थी. इसी चोरी के मुद्दे पर ओमवीर और उसके भाई शुक्रमपाल की ढाबा मालिक नवाब से बहस हुई थी. कुछ ही देर की बहस के बाद नवाब खां ने एक हथियार से दोनों भाइयों को गोली मार दी थी. वहीं, गोली लगने से ओमवीर और शुक्रमपाल बुरी तरह से घायल हो गए थे. अस्पताल में शुक्रमपाल ने दम तोड़ दिया था. ओमवीर का लम्बे समय तक इलाज चला था.
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उनको गंभीर चोटें आई थीं. नवाब खां का वीडियो भी तब गोली चलाते हुए वायरल हुआ था. पुलिस ने तब FIR दर्ज करके नवाब खां को गिरफ्तार कर लिया था. फिलहाल उसी स्थान पर अभी भी एक ढाबा चल रहा है. स्थानीय लोगों ने हमें बताया कि नवाब के जेल जाने के बाद इसे उसके परिजनों ने करीब 70 लाख रुपए में किसी को बेच दिया था. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई कि अभी भी नवाब खां उस ढाबे में हस्तक्षेप रखता है या नहीं.