नेपाल भगवान पशुपतिनाथ जी की वह पावन धरती, जहाँ से हिन्दुस्थान के रोटी-बेटी का सम्बन्ध होने की व्याख्या दी जाती है. 81.34% हिन्दू आबादी एवं सनातनी विचार, विश्वाश, एवं आस्था से भरा हुआ यह छोटा सा देश, जोकि ऐतिहासिक तौर पर भारत के कुछ अजीज मित्रों में से भी एक है. लेकिन विगत कुछ वर्षों में भारत-नेपाल सामरिक रिश्तों में कुछ ख़टास देखने मिली जिसका एक मात्र महत्वपूर्ण कारण नेपाल में वामपंथी विचारधाराओं का बहुत ही ज़ोरो-शोरों से फलना-फूलना था. जिसकी एक झलकी हमें पूर्व नेपाली प्रधानमंत्री KP शर्मा ओली के व्यक्तित्व में साफ़-साफ़ देखने को मिल सकती थी. हालाँकि समय के साथ नेपाल में सरकार बदली अथवा सरकार के साथ-साथ नेपाल के वामपंथियों का भी पतन हुआ. जिसके बाद अब नेपाल से एक ऐसी सकारात्मक खबर निकलकर सामने आ रही है, जिसे सुन तमाम भारतीयों का सीना गर्व से प्रफुल्लित हो उठेगा।
बता दें कि बीते दिन भारत में गैरकानूनी तरीके से घुस रहे एक नेपाली युवक की मौत की वजह से नेपाल में कुछ वामपंथी मानसिकता वाले नेता, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी का पुतला फूंकने और उनके खिलाफ़ नारेबाजी करने की घटनाओं में संलिप्त पाए गए थे। अब इसी कड़ी में नेपाल के गृह मंत्रालय ने अपना बयान जारी करते हुए ऐसे नेताओं व नागरिकों को चेतावनी दी है। नेपाल सरकार ने भारत से अपनी मित्रता को मद्देनज़र रखते हुए, अपने देश के कम्युनिस्ट विचारधारा रखने वाले नेताओं आगाह किया है एवं भारतविरोधी हरकतों को अपमानजनक करार देते हुए अपने लोगों को कहा है कि नेपाल भारत के साथ मित्रता रखना चाहता है एवं भविष्य में वह ऐसी घटनाओं को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।
बता दें कि ये पूरा मामला नेपाली युवक जय सिंह धामी की मौत से संबंधित है, जो जुलाई में धारचूला के गस्कू में नाज़ायज़ तरीके से भारत में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा था। मगर, उत्तराखंड के बॉर्डर जिले पिथौरागढ़ से लगती काली नदी में गिरने से उसकी मौत हो गई। इसी घटना को लेकर नेपाली कुछ नेताओं का गुस्सा भारत के प्रति उबाल पर है, जिसके बाबत में नेपाली गृह मंत्रालय हिन्दुस्थान के पक्ष में एक बयान साझा करते हुए यह कहा कि, बीते कुछ दिनों में पड़ोसी मित्र राष्ट्र के पीएम की छवि खराब करने के लिए नारे लगाने, धरना प्रदर्शन और पुतले फूंकने जैसी गतिविधियाँ सामने आई हैं। मंत्रालय के बयान में किसी नेता के बयान की पहचान नहीं उजागर की गई है। किन्तु ऐसी घटनाओं को निंदनीय और शर्मनाक करार दिया गया है।