इनपुट-संदीप मिश्रा, लखनऊ
क्या है मामला
दरअसल, अल्लूनगर निवासी शिवबरन की मानें तो बीती आठ जून को पैसे के लेनदेन के मामले में चौकी इंचार्ज दीवान असलम खान ने पीड़ित को समझौते के सिलसिले में चौकी पर बुलाया. यहां पर पहले से दूसरा पक्ष मौजूद था. जब पीड़ित चौकी पर पहुंचा तो वहां मौजूद इंचार्ज ने पीड़ित के साथ मारपीट शुरू कर दी और पैसे देने का दबाव बनाने लगे, जबकि पीड़ित के अनुसार पुलिस ने जांच करने के बाद मामले में चार्जशीट लगा दी थी और मामला न्यायालय में विचाराधीन है. अब सवाल यह है कि अगर कोई मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो साहब को मामले में समझौता कराने का अधिकार कहां से मिला?
क्यों नहीं हो रही कार्रवाई
पीड़ित ने इस मामले की शिकायत लखनऊ पुलिस कमिश्नर से की जिसके बाद एसीपी अलीगंज को मामले की जांच सौंपी गई है. फिलहाल कछुए की चाल से जांच चल रही है. पीड़ित की मानें तो चौकी इंचार्ज के संबंध कुछ प्रभावशाली लोगों से हैं. यही वजह है कि पुलिस के अधिकारी भी गंभीरता से मामले को लेने के बावजूद कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं. पीड़ित ने उच्चाधिकारियों को एक ऑडियो क्लिप और अन्य साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं उसी ऑडियो क्लिप में चौकी इंचार्ज पीड़ित को भद्दी गालियां देते सुनाई पड़ रहे हैं. इतना ही नहीं भविष्य में और भी फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी दे रहे हैं.
कई मामलों की हो चुकी शिकायत
घैला चौकी इंचार्ज दीवान असलम खान का विवादों से पुराना नाता है. आपको बता दें इससे पहले भी बीती नौ जून को फैजुल्लागंज के सतनू ने भी मारपीट के एक मामले की शिकायत लखनऊ पुलिस कमिश्नर से की थी. पीड़ित का आरोप है कि मारपीट में परिवार को गंभीर चोटें आई थीं लेकिन चौकी इंचार्ज ने मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर पल्ला झाड़ लिया था.