छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित धर्मरक्षा महायज्ञ और वैदिक सनातन संस्कृति सम्मेलन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आदिवासी समुदाय और हिंदू संस्कृति को लेकर महत्वपूर्ण बातें कहीं। अपने भाषण में उन्होंने धर्मांतरण और संस्कृति के संरक्षण पर भी चिंता जताई। यह मामला रविवार ( 20 अप्रैल 2025) की है।
मुख्यमंत्री साय ने आर्य समाज के स्थापना दिवस पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह संस्था 150 वर्षों से मानवता और समाज सेवा में लगी हुई है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं वर्ष 1999 से आर्य समाज से जुड़े हुए हैं और संस्था द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों को करीब से देखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में धर्मांतरण और गौहत्या जैसी घटनाएं सामने आती रही हैं। उन्होंने बताया कि स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव ने इन समस्याओं के खिलाफ लंबा संघर्ष किया और अनेक लोगों की ‘घर वापसी’ करवाई। उनके प्रयासों के बाद जशपुर क्षेत्र में काफी शांति और धार्मिक सुरक्षा बनी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने भाषण में कहा कि आदिवासी समुदाय सबसे बड़े हिंदू हैं, क्योंकि वे सदियों से सरना धर्म, गौरी-गौरा, और शिव-शक्ति की पूजा करते आए हैं। उन्होंने बताया कि बस्तर क्षेत्र के बैगा पुजारी होते हैं और वहां देवी-देवताओं का प्रथम स्वरूप स्थापित किया जाता है।
मुख्यमंत्री ने चिंता जताई कि आज भी कुछ विदेशी एजेंसियां देश को तोड़ने और आदिवासियों को भटकाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि "आदिवासी हिंदू नहीं हैं" यह कहना पूरी तरह गलत है। उन्होंने समाज से अपील की कि वे अपने धर्म और संस्कृति को पहचानें और उसे संरक्षित करें।