विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि जैसे-जैसे विश्व ज्यादा बहु-ध्रुवीयता की तरफ बढ़ रही है, वक्त के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए सहयोग के उचित तरीके तैयार करना आवश्यक हो जाता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हमारे पास मजबूत अभिसरण का एक लंबा इतिहास है और गहरी दोस्ती हमें दोनों कारकों का सबसे अच्छा उपयोग करने की अनुमति देती है। दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं, यह भी एक महत्वपूर्ण विचार है। भारत के बीच साझेदारी, जिसकी आने वाले कई दशकों तक आठ फीसद की विकास दर है, और रुस जो एक मुख्य प्राकृतिक संसाधन प्रदाता और एक प्रमुख प्रौद्योगिकी नेता है, उन दोनों और विश्व के लिए अच्छी सेवा होगी।
भारत को रुस का एक स्वाभाविक सहयोगी कहा
रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने वल्दाई डिस्कशन क्लब में भारत को रुस का एक स्वाभाविक सहयोगी कहा था। उन्होंने कहा कि दस मुख्य विकास हैं जिन पर दोनों देशों को ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जयशंकर ने 2030 तक भारत और रुस के बीच व्यापार को सौ बिलियन डॉलर तक ले जाने और इसके साथ ही भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ व्यापार को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाने का आह्वान किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रुसी सुदूर पूर्व में मदद बढ़ाने पर जोर दिया, जिस पर इस वर्ष मॉस्को में वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान भी चर्चा की गई। उन्होंने रिश्ते के एक और महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डाला, जो अंततः राष्ट्रीय मुद्रा निपटान के साथ एक बेहतर व्यापार संतुलन बनाना है।
कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर निरंतर ध्यान देने का आह्वान किया
एस. जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों की तरफ से की जा रही तीन महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर निरंतर ध्यान देने का आह्वान किया। रुस के प्रथम उपप्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इन पर भी प्रकाश डाला। इनमें आइएनएसटीसी, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर और उत्तरी समुद्री मार्ग शामिल हैं।