सनातन हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी के त्योहार का खास महत्व है। इस विशेष त्योहार को प्रत्यमपूज्य भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ज्ञान और बुद्धि के देवता श्री गणेशजी का प्रकट्य भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। लेकिन यह त्यौहार अगले 10 दिनों तक मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि गणेश उत्सव का त्योहार 10 दिनों तक क्यों मनाया जाता है तथा इसका कारण क्या है?
गणेश उत्सव 10 दिन तक क्यों मनाया जाता है?
ऐसा माना जाता है कि, महर्षि वेदव्यास जी ने भगवान श्री गणेश से महाभारत ग्रंथ लिखने का आग्रह किया था। भगवान गणेश ने बिना रुके लगातार 10 दिनों तक अपने दांत को कलम बना कर महाभारत लिखी। इस दौरान लगातार एक ही स्थान पर लेखन करने के वजह से गणेश जी के शरीर पर धूल और मिट्टी जमा हो गई और 10वें दिन गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके अपने शरीर पर जमी धूल और मिट्टी को साफ किया, तब से गणेश उत्सव के 10वें दिन भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, इन 10 दिनों के दौरान भगवान गणेश पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं, जहां उनके भक्त उनका स्वागत करते हैं और उन्हें अपने घर सेवा के लिए आमंत्रित करते हैं। इस दौरान घरों और सार्वजनिक स्थानों पर उनकी प्रतिमा स्थापित की जाती है। यह त्यौहार दसवें दिन यानी अनंत चतुर्दशी को समाप्त होता है, भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है और भक्त उन्हें विदाई देते हैं और अगले साल आने के लिए वचन मांगते हैं।
भगवान गणेश का जन्म कैसे हुआ?
भगवान श्री गणेश का जन्म माता पार्वती के शरीर के मैल से हुआ था। माता ने मूर्ति में प्राण फूंक दिए और विनायक को अपने कक्ष की सुरक्षा का दायित्व सौंपा। जब देवी पार्वती के पति यानि भगवान शिव ने कक्ष में प्रवेश करने का प्रयास किया, तो शिव की पहचान से अनजान बाल-गणेश ने उनका रास्ता रोक दिया। इसपर भगवान शिव क्रोधित हो गए और गणेश का सिर काट दिया, दुःखी माँ ने भगवान शिव से अपने बेटे को वापस जीवित करने का अनुरोध किया, तब भगवान शिव ने गणेशजी के सिर के स्थान पर एक हाथी का सिर लगाया और उन्हें नया जीवन मिला।