यदि आपने बड़ा उदासीन अखाड़ा के बारे में पढ़ा है, तो यह जानना आवश्यक है कि नया उदासीन अखाड़ा उसी परंपरा का एक नया विस्तार है, जिसे वैदिक संन्यास, योग, ध्यान, सेवा और धर्म रक्षा की परंपराओं को और अधिक व्यवस्थित करने के लिए स्थापित किया गया।
-यह अखाड़ा बड़ा उदासीन अखाड़े की शाखा के रूप में विकसित हुआ लेकिन धीरे-धीरे अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहा।
-इसकी स्थापना 18वीं शताब्दी में उदासीन संप्रदाय के महान संतों द्वारा की गई थी, जिन्होंने हिंदू समाज को शिक्षित और सशक्त करने के लिए गुरुकुल प्रणाली, योग साधना और समाज सेवा पर अधिक ध्यान देने का संकल्प लिया।
-इस अखाड़े ने धर्म रक्षा के लिए मुगलों और अंग्रेजों के अत्याचारों का विरोध किया और स्वतंत्रता संग्राम में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान दिया।
-यह अखाड़ा सनातन धर्म, योग, ध्यान, और गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने में अग्रणी भूमिका निभाता है।
1. पंचायती अखाड़ा नया उदासीन की स्थापना और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
1.1 अखाड़े की उत्पत्ति और उद्देश्य
• स्थापना वर्ष: 18वीं शताब्दी (उदासीन संप्रदाय की शाखा के रूप में)।
• संस्थापक: उदासीन संप्रदाय के प्रमुख संतों द्वारा स्थापित।
• स्थान: हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, नासिक, पंजाब और उत्तर भारत के अन्य तीर्थ क्षेत्रों में प्रमुख शाखाएँ।
• उद्देश्य:
• सनातन धर्म और योग की रक्षा एवं प्रचार।
• गुरुकुल प्रणाली द्वारा वेद, उपनिषद, गीता, गुरुबाणी, योग और ध्यान की शिक्षा को पुनर्जीवित करना।
• हठयोग और ध्यान पर अधिक केंद्रित साधना प्रणाली विकसित करना।
• धर्म रक्षा, समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान देना।
1.2 बड़ा उदासीन से नया उदासीन – अलग पहचान क्यों?
• बड़ा उदासीन अखाड़ा मुख्य रूप से तपस्या, ध्यान और संन्यास पर केंद्रित था, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, समाज सेवा, योग और धर्म रक्षा की आवश्यकता भी बढ़ी।
• इस आवश्यकता को देखते हुए उदासीन परंपरा के संतों ने नया उदासीन अखाड़ा स्थापित किया, ताकि धर्म और योग को ज्यादा व्यावहारिक रूप से समाज में विस्तारित किया जा सके।
• यह अखाड़ा बड़ा उदासीन से अलग इस कारण भी हुआ, क्योंकि इसने गुरुकुल शिक्षा और योग साधना पर विशेष ध्यान दिया।
2. साधना पद्धति और उपासना प्रणाली
2.1 हठयोग, ध्यान और वैदिक साधना का अनूठा केंद्र
•यह अखाड़ा हठयोग, नादयोग, प्राणायाम और कुंडलिनी जागरण की विशिष्ट साधना परंपराओं का पालन करता है।
• यहाँ के संत अत्यधिक कठोर तप और मौन व्रत, पंचाग्नि साधना, और दीर्घ ध्यान में संलग्न रहते हैं।
• योग, ध्यान और आत्मशुद्धि के लिए विशेष मठों और गुरुकुलों की स्थापना की गई है।
2.2 समाज सेवा, धर्म रक्षा और शिक्षा पर जोर
1. गुरुकुल परंपरा:
• यह अखाड़ा संन्यासी संतों और युवाओं को धर्म, योग, ध्यान, आयुर्वेद और शस्त्र विद्या का प्रशिक्षण देता है।
2. धर्म प्रचार और मुगलों व अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष:
• मुगलों के शासनकाल में इस अखाड़े के संतों ने गुरुकुलों और मंदिरों की रक्षा की।
• अंग्रेजों ने सनातन धर्म की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन नया उदासीन अखाड़े ने गुरुकुलों को संरक्षित रखा।
3. सेवा और राष्ट्र निर्माण:
• यह अखाड़ा शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण सुरक्षा और गौसेवा में विशेष योगदान देता है।
• आपातकाल में इस अखाड़े ने अन्नदान, जल आपूर्ति और आपदा राहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
3. कुम्भ मेले में पंचायती अखाड़ा नया उदासीन की भूमिका
3.1 अमृत स्नान और शाही शोभायात्रा
• अमृत स्नान (शाही स्नान) के दौरान पंचायती अखाड़ा नया उदासीन सनातन धर्म और योग साधना की दिव्यता का भव्य प्रदर्शन करता है।
• इसकी शोभायात्रा में संत, योगी, महंत और तपस्वी संन्यासी सम्मिलित होते हैं।
3.2 आध्यात्मिक शिविर और प्रवचन
•कुम्भ मेले में अखाड़ा योग, ध्यान, गुरुबाणी, वेदांत और समाज सेवा पर विशेष प्रवचन आयोजित करता है।
• यहाँ धर्म रक्षा, शिक्षा, आयुर्वेद, योग और राष्ट्र सेवा पर विशेष चर्चा की जाती है।
4. पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के प्रमुख संत और उनका योगदान
4.1 ऐतिहासिक संत
1. संत श्रीचंद जी महाराज:
• गुरु नानक देव जी के पुत्र और उदासीन संप्रदाय के संस्थापक।
• वैराग्य, सेवा और ध्यान साधना के महान प्रचारक।
2. महंत प्रतापनंद जी महाराज:
• योग, सेवा और ध्यान के अद्वितीय संत।
• सनातन और सिख एकता के महान प्रचारक।
5. पंचायती अखाड़ा नया उदासीन का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
-यह अखाड़ा सनातन धर्म, शिक्षा, योग और समाज सेवा का सशक्त केंद्र है।
-मुगलों और अंग्रेजों के काल में इसने सनातन शिक्षा प्रणाली की रक्षा की।
-आज भी इसका योगदान राष्ट्र निर्माण, गौसेवा, धर्म रक्षा और वैदिक शिक्षा में अविस्मरणीय है।
मुख्य वाक्य:
“पंचायती अखाड़ा नया उदासीन योग, ध्यान, समाज सेवा और धर्म रक्षा का ध्वजवाहक है।”
लेखक: डॉ. सुरेश चव्हाणके
(चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)