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कुंभ और संन्यास – सनातन धर्म की सबसे अद्भुत और रहस्यमयी परंपरा। महाकुम्भ लेखमाला 30

धर्म योद्धा डॉ सुरेश चव्हाणके द्वारा लिखित महाकुंभ लेखमाला में ३० वाँ लेख।

Dr suresh chavhanke
  • Feb 9 2025 7:10AM

📌 प्रस्तावना: संन्यास – हिंदू धर्म की सबसे गूढ़, रहस्यमयी और प्रभावशाली परंपरा

संन्यास केवल भगवा वस्त्र धारण करने का नाम नहीं, यह जीवन का एक महान तप, एक अलौकिक साधना, और आत्मा की परम स्वतंत्रता की यात्रा है।
👉 क्यों हिंदू समाज ने इसे इतना उच्च स्थान दिया?
👉 क्यों बड़े-बड़े राजा भी राजपाट छोड़कर संन्यासी बने?
👉 क्यों संन्यास लेना हिंदू समाज में इतना सम्माननीय माना जाता है, जबकि अन्य धर्मों में यह इतना प्रभावशाली नहीं है?
👉 कुंभ में संन्यासियों का इतना ऊँचा स्थान क्यों होता है?

🚩 संन्यास सनातन धर्म की आत्मा है, और कुंभ इस आत्मा का महोत्सव!

📌 1. संन्यास का अर्थ और इसकी अनूठी विशेषताएँ

संन्यास का मतलब जीवन से पलायन नहीं, बल्कि सांसारिक बंधनों से मुक्ति और आत्मज्ञान की सर्वोच्च अवस्था तक पहुँचना है।
🔹 संन्यास का लक्ष्य:
व्यक्ति का संपूर्ण जीवन धर्म, ध्यान, योग, और मोक्ष के लिए समर्पित होता है।
आत्मा को संसार के मोह से मुक्त कर परम सत्य को अनुभव करना।

🔹 संन्यास का प्रभाव:
सभी वर्गों और जातियों के लिए समान अवसर – हिंदू समाज ने एक अनूठी व्यवस्था बनाई जिसमें कोई भी व्यक्ति जो योग्य हो, वह संन्यास ले सकता है।
किसी भी वर्ग, वर्ण, जाति या लिंग से व्यक्ति संन्यासी बन सकता है, केवल आंतरिक योग्यता की आवश्यकता होती है।
संन्यास केवल मोक्ष प्राप्ति का मार्ग नहीं, यह समाज और राष्ट्र सेवा का भी सबसे बड़ा साधन है।

📌 2. संन्यास कौन ले सकता है और कौन नहीं?

✅ संन्यास कौन ले सकता है?
1. जो सांसारिक बंधनों से मुक्त होना चाहता है।
2. जिसका मन संयम, ध्यान और योग की ओर अग्रसर हो।
3. जो अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को त्यागकर समाज और धर्म की सेवा करना चाहता है।
4. जिसका गुरु उसे संन्यास के योग्य समझे।

❌ संन्यास कौन नहीं ले सकता?
1. जिसका मन अभी भी सांसारिक इच्छाओं से जुड़ा हो।
2. जो अपने परिवार और जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सका हो।
3. जिसका मन अभी वैराग्य के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं हो।

👉 संन्यास का निर्णय गुरु द्वारा किया जाता है, और यह किसी भी वर्ग, जाति या समुदाय के व्यक्ति के लिए खुला होता है।

📌 3. राजा भी क्यों बने संन्यासी? संन्यास की शक्ति क्या थी?

संन्यास सनातन धर्म की सबसे प्रभावशाली परंपरा थी, जिसने राजाओं, योद्धाओं, महर्षियों और विद्वानों तक को अपनी ओर आकर्षित किया।

🔹 कुछ महान राजा जो संन्यासी बने:
1. चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य – महान सम्राट जिन्होंने जैन संन्यास लिया।
2. भगवान बुद्ध (सिद्धार्थ गौतम) – राजपाट छोड़कर मोक्ष की खोज में निकले।
3. श्री आदि शंकराचार्य – युवा अवस्था में ही संन्यास लिया और सनातन धर्म को पुनर्जीवित किया।
4. राजा भरथरी (राजस्थान के महान राजा) – पत्नी के मोह से मुक्त होकर नागा संन्यासी बने।
5. राजा भगीरथ – जिन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तपस्या और संन्यास अपनाया।

👉 क्या आपने कभी सुना है कि किसी अन्य धर्म में राजा अपने राजपाट को त्यागकर संन्यासी बने?
👉 यह केवल हिंदू धर्म की शक्ति थी, जिसने संन्यास को इतना महान बना दिया कि सबसे बड़े राजा भी इसे अपनाने को तैयार हो गए।

📌 4. कुंभ में संन्यास परंपरा की महानता और शाही स्नान का रहस्य

🔹 कुंभ में संन्यास की दीक्षा – क्यों इसे इतनी प्रतिष्ठा दी जाती है?
केवल योग्य साधकों को ही कुंभ में संन्यास लेने की अनुमति दी जाती है।
संन्यास लेने के बाद साधक को नया नाम, नया दायित्व और अखाड़े में स्थान मिलता है।
एक बार संन्यास लेने के बाद व्यक्ति अपना पुराना जीवन पूरी तरह छोड़ देता है और समाज को मार्गदर्शन देने वाला बनता है।

🔹 शाही स्नान – केवल संन्यासियों के लिए क्यों सबसे महत्वपूर्ण?
यह स्नान केवल शारीरिक नहीं, आध्यात्मिक शुद्धि का महायज्ञ है।
जब संन्यासी गंगा, यमुना और सरस्वती में स्नान करते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि उनका तप और आशीर्वाद पूरे समाज को मिलता है।

📌 5. मुगलों और अंग्रेजों के विरुद्ध संन्यासियों का संग्राम

🔹 मुगलों के अत्याचार के विरुद्ध संन्यासी योद्धा:
जब मुगलों ने हिंदू मंदिरों और धर्म पर आक्रमण किया, तब नागा संन्यासियों ने तलवार उठाई।
सनातन धर्म की रक्षा के लिए हजारों संन्यासियों ने अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए।

🔹 अंग्रेजों के विरुद्ध संन्यासियों का विद्रोह:
जब अंग्रेजों ने सनातन धर्म को कमजोर करने का प्रयास किया, तब संन्यासी गुरुकुलों को बचाने के लिए खड़े हुए।
18वीं शताब्दी में नागा संन्यासियों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों से सीधा युद्ध किया।
संन्यासी विद्रोह अंग्रेजों के खिलाफ भारत के पहले विद्रोहों में से एक था, जिसने ब्रिटिश सत्ता को हिला दिया था।

👉 क्या आप जानते हैं कि संन्यासियों के बिना भारत का स्वतंत्रता संग्राम अधूरा होता?

मुख्य वाक्य:
“संन्यास सनातन धर्म का सबसे बड़ा रहस्य है – यह केवल व्यक्तिगत मोक्ष का मार्ग नहीं, बल्कि पूरे समाज को प्रकाशित करने वाली दिव्य ज्वाला है।”

✍🏻 लेखक:
डॉ. सुरेश चव्हाणके
(चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)

 
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