कुंभ मेले में जाने वालों के हार्मोन्स कैसे बदलते हैं? पढ़ें इसका वैज्ञानिक प्रभाव
महा कुंभ लेखमाला – लेख क्रमांक 31
प्रस्तावना: कुंभ मेला – आध्यात्मिकता और जैविक परिवर्तन का महासंगम
क्या आपने कभी अनुभव किया है कि कुंभ मेले से लौटने के बाद लोग मानसिक रूप से अधिक शांत, ऊर्जावान और तनावमुक्त महसूस करते हैं?
क्या गंगा स्नान, ध्यान, मंत्रोच्चार और कुंभ के विशाल जनसमूह में सम्मिलित होने से हमारे शरीर में कोई वैज्ञानिक परिवर्तन होता है? जिसे साबित किया जा सकता हैं, वैज्ञानिकों ने पहले ही किया है।
क्या यह केवल आस्था का प्रभाव है, या इसके पीछे गहरा जैविक और न्यूरोकेमिकल (हार्मोनल) कारण भी है?
आधुनिक विज्ञान अब यह प्रमाणित कर चुका है कि कुंभ मेला न केवल आध्यात्मिक जागरण का केंद्र है, बल्कि यह हमारे शरीर में गहरे जैविक और न्यूरोलॉजिकल परिवर्तन भी लाता है।
1. कुंभ मेला कैसे हमारे हार्मोन्स को प्रभावित करता है?
हमारा शरीर अंदरूनी रसायनिक संकेतों (हार्मोन्स) के माध्यम से संचालित होता है, जो हमारे मूड, ऊर्जा स्तर, चिंता, भय, खुशी और आत्मविश्वास को नियंत्रित करते हैं।
वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि कुंभ में जाने से हमारे हार्मोनल संतुलन में गहरा बदलाव होता है, जिससे व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से अधिक ऊर्जावान, सकारात्मक और शांत महसूस करता है।
2. कुंभ मेले में कौन-कौन से हार्मोन्स प्रभावित होते हैं?
ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) – “लव हार्मोन” और सामाजिक जुड़ाव
कुंभ मेला सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सामाजिक आयोजन है, जहाँ लाखों लोग एक साथ स्नान, पूजा और भजन-कीर्तन करते हैं।
जब हम सामूहिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, तो हमारा मस्तिष्क ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्राव बढ़ा देता है।
इसका प्रभाव:
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लोगों में सामाजिक जुड़ाव और आपसी प्रेम की भावना बढ़ती है।
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मानसिक रूप से शांति और सुरक्षा का अनुभव होता है।
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इससे व्यक्ति अधिक शांत, संयमित और करुणामय बनता है।
डोपामिन (Dopamine) – आनंद और प्रेरणा का हार्मोन
कुंभ मेले का धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल, विशेष स्नान और पूजा के दौरान मिलने वाली संतुष्टि डोपामिन स्राव को बढ़ाती है।
इसका प्रभाव:
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व्यक्ति को संतोष और खुशी का अनुभव होता है।
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आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे लोग अधिक प्रेरित और केंद्रित महसूस करते हैं।
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डोपामिन हमें आध्यात्मिक अनुभवों में लीन होने की शक्ति देता है।
सेरोटोनिन (Serotonin) – शांति और संतोष का हार्मोन
कुंभ मेला मंत्रोच्चार, सत्संग, गंगा स्नान और ध्यान का महासंगम है।
जब व्यक्ति इस दिव्य वातावरण में प्रवेश करता है, तो उसके मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ जाता है।
इसका प्रभाव:
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व्यक्ति अधिक संतोष, मानसिक स्थिरता और आत्मिक शांति का अनुभव करता है।
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सेरोटोनिन तनाव और अवसाद को कम करता है।
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व्यक्ति अधिक सकारात्मक और आत्मनिर्भर बनता है। सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए कोई दवाई नहीं होती इसलिए कुंभ मेले जैसे आयोजनों में शामिल होना आवश्यक है।
एंडोर्फिन्स (Endorphins) – प्राकृतिक दर्द निवारक हार्मोन
सामूहिक गतिविधियाँ, जैसे गंगा स्नान, भजन-कीर्तन, मंत्रोच्चार और हवन करने से एंडोर्फिन्स का स्तर बढ़ता है।
इसका प्रभाव:
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शरीर को स्वाभाविक रूप से दर्द और तनाव से राहत मिलती है।
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एंडोर्फिन्स व्यक्ति को अत्यधिक आनंद और उत्साह का अनुभव कराते हैं।
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अत्यधिक भीड़, लंबे समय तक खड़े रहने, थकान और यात्रा की कठिनाई के बावजूद लोग खुद को ऊर्जावान महसूस करते हैं।
कोर्टिसोल (Cortisol) – तनाव हार्मोन में गिरावट
आधुनिक शोध बताते हैं कि कुंभ में जाने से कोर्टिसोल का स्तर कम होता है।
कारण:
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व्यक्ति एक आध्यात्मिक वातावरण में रहता है, जहाँ तनाव और भय समाप्त हो जाते हैं।
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ध्यान और प्रार्थना से मस्तिष्क को आराम मिलता है और शरीर में तनाव हार्मोन कम हो जाते हैं।
इसका प्रभाव:
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व्यक्ति अधिक शांत और खुश महसूस करता है।
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मानसिक तनाव और चिंता लगभग समाप्त हो जाती है।
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रक्तचाप सामान्य रहता है और हृदय रोग का खतरा कम होता है।
मेलाटोनिन (Melatonin) – आध्यात्मिक जागरूकता और नींद में सुधार
वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुंभ मेले में मंत्रोच्चार और ध्यान से मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
इसका प्रभाव:
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व्यक्ति को अच्छी और गहरी नींद आती है।
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शरीर और मस्तिष्क पूरी तरह से पुनः ऊर्जावान हो जाते हैं।
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मेलाटोनिन ध्यान और आध्यात्मिक अनुभवों को गहरा करता है।
3. कुंभ मेले का दीर्घकालिक प्रभाव – क्या इसका असर महीनों तक रहता है?
क्या कुंभ का प्रभाव केवल मेले के दौरान होता है, या यह वर्षों तक बना रहता है?
वैज्ञानिकों ने पाया कि जो लोग कुंभ में जाते हैं, उनके शरीर में सेरोटोनिन का स्तर लंबे समय तक उच्च बना रहता है।
ध्यान और आध्यात्मिकता में जो वृद्धि होती है, वह लंबे समय तक मानसिक स्वास्थ्य को सुधारती है।
यह इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को भी मजबूत करता है। इस आध्यात्मिक जीवन शैली को नियमित रूप से जारी रखने पर यह परिणाम अधिक लंबे समय तक बना रहता हैं। इस लिए भजन, प्रवचन सुने। ध्यान करे, मंदिर जाना व्रत उपवास करना, सत्संग जैसी गतिविधियों के साथ जुड़े रहे।
4. निष्कर्ष – कुंभ मेला एक आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि जैविक और मानसिक पुनर्जागरण का अवसर
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कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, यह शरीर, मस्तिष्क और हार्मोन्स को पुनः संतुलित करने का स्थान है।
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गंगा स्नान, मंत्रोच्चार और ध्यान से शरीर में सकारात्मक हार्मोनल बदलाव आते हैं।
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यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि कुंभ से लौटने वाले लोग मानसिक रूप से अधिक मजबूत, शांत और ऊर्जावान महसूस करते हैं।
मुख्य वाक्य:
“कुंभ केवल आस्था का संगम नहीं, यह आपके मस्तिष्क और शरीर को एक नया जीवन देने वाला वैज्ञानिक आयोजन भी है। समाज में सज्जन लोगों की बढ़ोतरी करने की व्यवस्था है।”
✍🏻 लेखक:
डॉ. सुरेश चव्हाणके
(चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)