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महा कुंभ मेला: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और आर्थिक आयोजन

धर्म योद्धा डॉ सुरेश चव्हाणके जी द्वारा लिखित #महाकुम्भ_लेखमाला

Dr Suresh Chavhanke
  • Feb 16 2025 10:43AM
महा कुंभ मेला: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और आर्थिक आयोजन।  
महा कुंभ लेखमाला – लेख क्रमांक 38
लेखक:  डॉ. सुरेश चव्हाणके (चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)
प्रस्तावना: महा कुंभ – एक आध्यात्मिक और आर्थिक चमत्कार
महा कुंभ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का अद्वितीय उदाहरण है।
2025 के कुंभ मेले में अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु भाग ले चुके हैं, जिससे 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक टर्नओवर हुआ है।
यह आयोजन धर्म, आस्था, व्यापार, पर्यटन और सामाजिक संरचना को प्रभावित करता है। यह लेख महा कुंभ मेले के आर्थिक प्रभाव, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास और वैश्विक प्रतिष्ठा पर विस्तृत जानकारी देगा।
1. कुंभ मेला: भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार
महा कुंभ मेला भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
2025 के कुंभ मेले में अब तक 3 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक लेन-देन हुआ है।
पर्यटन, होटल, परिवहन, हस्तशिल्प, स्वास्थ्य सेवाएँ और व्यापार को बड़ी बढ़त मिली है।
स्थानीय व्यापारियों और छोटे दुकानदारों के लिए यह मेला सालभर की कमाई का मुख्य स्रोत बन जाता है।
👉 यदि कुंभ मेला न होता, तो स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ता।
2. रोजगार सृजन और आजीविका का स्रोत
महा कुंभ मेला देश में लाखों लोगों के लिए रोजगार उत्पन्न करता है।
सुरक्षा, सफाई, परिवहन, खानपान, टेंट व्यवस्था, होटल और पर्यटन में 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला।
स्थानीय कारीगर, मूर्तिकार, फोटोग्राफर, पंडित, साधु-संत, टूर गाइड, रिक्शा चालक, छोटे व्यापारी, फूल और प्रसाद विक्रेता इस आयोजन से प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते हैं।
अस्थायी बाजार, मेलों में लगी दुकानों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हजारों लोगों को आमदनी होती है।
👉 कुंभ मेला हर वर्ग को समान अवसर प्रदान करता है, जिससे भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
3. धार्मिक पर्यटन और वैश्विक आकर्षण
🔹 महा कुंभ मेला भारत के धार्मिक पर्यटन उद्योग को नई ऊँचाइयों पर ले जाता है।
🔹 इस मेले में 50 करोड़ से अधिक लोग शामिल हो चुके हैं, जिनमें हजारों विदेशी श्रद्धालु और पर्यटक भी आते हैं।
🔹 इस आयोजन के कारण भारत की आध्यात्मिक शक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलती है।
🔹 विश्वभर के समाचार पत्र, शोधकर्ता और फिल्म निर्माता इस आयोजन को कवर करते हैं, जिससे भारत की छवि सशक्त होती है।
👉 महा कुंभ मेला धार्मिक पर्यटन में भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित करता है।
4. बुनियादी ढांचे में सुधार और विकास
कुंभ मेले के दौरान सड़कों, बिजली, पानी, सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक सुधार किए जाते हैं।
सरकार ने सड़क, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, डिजिटल नेटवर्क और संचार व्यवस्था में भारी निवेश किया।
हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक जैसे तीर्थों में परिवहन और सुविधाओं का विस्तार हुआ।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, सौर ऊर्जा संयंत्र और कचरा प्रबंधन योजनाओं को लागू किया गया।
👉 2025 कुंभ मेले में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का बुनियादी ढांचा विकास किया गया है।
5. सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
कुंभ मेला केवल आर्थिक प्रभाव ही नहीं डालता, बल्कि समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना को भी जागृत करता है।
यह आयोजन विभिन्न पंथों, संप्रदायों और जातियों को एक साथ लाकर हिंदू समाज की एकता को प्रदर्शित करता है।
यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विभिन्न अखाड़ों, मठों और साधु-संतों की उपस्थिति से सनातन धर्म की समृद्ध विरासत उजागर होती है।
👉 यह मेला भारत की सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है।
6. क्या इस्लामिक हज और ईसाई आयोजनों की तुलना में कुंभ मेला बड़ा है?
हज यात्रा में हर साल 15-20 लाख लोग मक्का जाते हैं, जबकि महा कुंभ में 50 करोड़ से अधिक लोग शामिल होते हैं।
कोई भी ईसाई धार्मिक आयोजन कुंभ मेले की तुलना में छोटा है।
कुंभ मेला धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से विश्व का सबसे बड़ा आयोजन है।
इस आयोजन से धार्मिक पर्यटन, व्यापार और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष: महा कुंभ मेला – एक धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति
महा कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और सामाजिक समरसता का आधार है।
यह आयोजन विश्व को यह सिखाता है कि आस्था, एकता और आर्थिक विकास एक साथ कैसे बढ़ सकते हैं।
यह भारत के लिए गौरव और दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
कुंभ मेला भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति का प्रतीक है।
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