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क्या कुंभ में कुछ लोग सशरीर स्वर्ग जाते हैं? क्या है गायब लोगों की कहानी?

धर्म योद्धा डॉ सुरेश चव्हाणके जी की #महाकुम्भ_लेखमाला

Dr Suresh Chavhanke
  • Feb 19 2025 6:09PM
क्या महाकुंभ से कुछ लोग सशरीर स्वर्ग जाते हैं?क्या है गायब होने वाले लोगों की रहस्यमयी कहानी?
महाकुंभ लेखमाला – लेख क्रमांक 41
लेखक:  डॉ. सुरेश चव्हाणके (चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)
प्रस्तावना: कुंभ – आस्था, रहस्य और मोक्ष का संगम
कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि अनगिनत रहस्यों, अध्यात्म और सनातन सत्य की खोज का केंद्र भी है।
हर कुंभ में लाखों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन कुछ लोग वापस नहीं लौटते।
👉 क्या वे सशरीर स्वर्ग चले जाते हैं?
👉 क्या गंगा उन्हें किसी दिव्य लोक में समाहित कर लेती है?
👉 क्या वे संन्यास लेकर समाज से दूर हो जाते हैं, या किसी गुप्त योग परंपरा का हिस्सा बन जाते हैं?
इस लेख में हम इतिहास, धर्म, विज्ञान और अध्यात्म – सभी दृष्टियों से इस प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास करेंगे।
1. गायब होने वाले लोगों की ऐतिहासिक घटनाएँ
ब्रिटिश अधिकारी जॉन हेनरी की रिपोर्ट (1894 कुंभ, प्रयागराज)
ब्रिटिश अधिकारी जॉन हेनरी ने अपनी डायरी में लिखा:
“एक साधु, जिसका शरीर भस्म से पुता था, जल पर चल रहा था। उसके पीछे कुछ लोग सम्मोहित थे। वे गंगा में उतरे, और फिर एक सुनहरी धुंध ने उन्हें निगल लिया।”
हेनरी ने इसे “जादू” समझा, लेकिन स्थानीय संतों ने इसे “स्वर्ग जाने का संकेत” बताया।
मुगल इतिहासकार अबुल फज़ल (आइन-ए-अकबरी, 16वीं सदी)
“कुंभ के मेले में संन्यासियों के बीच कुछ ऐसे योगी होते हैं, जो गंगा में स्नान करने के बाद कभी वापस नहीं लौटते।”
अबुल फज़ल ने इसे “तांत्रिक विद्या” बताया, लेकिन साधुओं ने इसे “मोक्ष प्राप्ति” कहा।
फ्रांसीसी यात्री जीन-बैप्टिस्ट टैवर्नियर (17वीं सदी)
“कुछ संन्यासी जल के भीतर समा जाते हैं और फिर कभी दिखाई नहीं देते।”
ब्रिटिश अधिकारी विलियम हंटर (19वीं सदी)
“हर कुंभ में कुछ तीर्थयात्री और साधु रहस्यमयी रूप से लापता हो जाते हैं। इनमें से कुछ के शव नहीं मिलते, और कुछ कभी घर वापस नहीं जाते।”
👉 इतिहास में इन घटनाओं का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं, लेकिन इनका बार-बार उल्लेख होना एक बड़ा रहस्य है।
2. गायब होने वाले लोग कहाँ जाते हैं?
(A) गंगा में समाने की परंपरा
🔹 सनातन मान्यता है कि गंगा स्वयं मोक्षदायिनी है।
🔹 कुछ सिद्ध संत और योगी मानते हैं कि कुंभ मेले के दौरान गंगा में कुछ सूक्ष्म ऊर्जाएँ सक्रिय हो जाती हैं, जिससे तैयार आत्माएँ अपने शरीर का त्याग करके दिव्य लोक में चली जाती हैं।
🔹 ब्रह्मांड पुराण और स्कंद पुराण में भी उल्लेख है कि कुछ योगियों के लिए गंगा एक “स्वर्ग का द्वार” होती है।
(B) हिमालय की ओर बढ़ने वाले साधु
🔹 इतिहास गवाह है कि कई संत और योगी कुंभ मेले के बाद हिमालय की ओर निकल जाते हैं।
🔹 कुछ संन्यास ग्रहण कर लेते हैं, और समाज से सदा के लिए कट जाते हैं।
🔹 कई योगियों की मान्यता है कि हिमालय में ऐसे गुप्त आश्रम हैं, जहाँ मोक्ष की साधना की जाती है।
🔹 ह्वेन त्सांग (7वीं सदी) और अल-बरूनी (11वीं सदी) ने भी ऐसे संतों का उल्लेख किया है, जो अचानक अंतर्ध्यान हो जाते थे।
👉 क्या ये लोग वास्तव में स्वर्ग चले जाते हैं, या केवल सांसारिक जीवन को त्याग कर मोक्ष की यात्रा पर निकल पड़ते हैं?
3. तांत्रिक सिद्धियाँ और योग की गूढ़ विद्या
सनातन धर्म में कई प्रकार की अलौकिक सिद्धियों का उल्लेख मिलता है, जिनमें शरीर को त्यागे बिना दिव्य लोकों की यात्रा संभव मानी जाती है।
(A) अष्ट सिद्धियाँ
1. अणिमा – शरीर को अदृश्य या अति सूक्ष्म बना लेना।
2. महिमा – शरीर को अत्यंत विशाल रूप में परिवर्तित कर लेना।
3. लघिमा – शरीर को इतना हल्का बना लेना कि वह हवा में उड़ सके।
4. प्राप्ति – कहीं भी तुरंत पहुँच जाने की शक्ति।
👉 कई योगियों का मानना है कि कुंभ मेले के दौरान सिद्ध संत अणिमा और लघिमा का उपयोग कर सकते हैं, जिससे वे गायब हो जाते हैं।
(B) त्रिकाल दृष्टि और कालांतरण विद्या
🔹 “योगवासिष्ठ” ग्रंथ में वर्णित है कि कुछ उच्च कोटि के योगी समय (Time) और स्थान (Space) के नियमों को तोड़ सकते हैं।
🔹 भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को “विश्वरूप दर्शन” दिखाकर समय के रहस्य को उजागर किया।
🔹 शिव संहिता में वर्णन है कि जब आत्मा परब्रह्म के साथ एक हो जाती है, तो उसका शरीर स्वतः विलुप्त हो सकता है।
👉 क्या कुंभ मेले में कुछ लोग इस गूढ़ विद्या से इस भौतिक संसार से परे चले जाते हैं?
4. विज्ञान बनाम अध्यात्म – क्या यह संभव है?
आधुनिक विज्ञान इस विषय पर क्या कहता है?
🔹 क्वांटम भौतिकी कहती है कि ब्रह्मांड में “मल्टीडाइमेंशनल स्पेस” हो सकता है।
🔹 कुछ वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि अगर कोई शरीर अपनी ऊर्जा को “Quantum State” में बदल सके, तो वह “Disappear” हो सकता है।
🔹 नासा के वैज्ञानिक भी मानते हैं कि “Alternate Dimensions” संभव हैं, लेकिन अभी तक इसे प्रमाणित नहीं किया जा सका है।
👉 क्या कुंभ मेले में कुछ योगी और साधु इस वैज्ञानिक सिद्धांत का व्यावहारिक उपयोग कर लेते हैं?
5. क्या कुंभ वास्तव में स्वर्ग जाने का द्वार है?
🔹 सनातन परंपरा में कुंभ को “मोक्ष प्राप्ति का सबसे बड़ा अवसर” कहा गया है।
🔹 स्कंद पुराण के अनुसार, कुंभ स्नान से सात जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं।
🔹 महाभारत (वन पर्व) में कुंभ को “स्वर्ग का प्रवेश द्वार” कहा गया है।
🔹 रामायण में लिखा है कि ऋषि अगस्त्य ने कुंभ स्थल पर अमृत से ध्यान और तपस्या की थी।
👉 क्या कुंभ मेले के दौरान कुछ विशेष आत्माएँ इस लोक को त्यागकर “अमृत लोक” में प्रवेश कर जाती हैं?

निष्कर्ष: कुंभ मेला – मोक्ष और रहस्य का संगम
🔹 क्या कुंभ से लोग स्वर्ग जाते हैं? – यह एक आध्यात्मिक सत्य है, जिसे आधुनिक विज्ञान प्रमाणित नहीं कर सकता।
🔹 क्या वे गायब हो जाते हैं? – इतिहास में ऐसे अनेक घटनाएँ दर्ज हैं, लेकिन इनका रहस्य अनसुलझा है।
🔹 क्या वे संन्यास लेकर हिमालय में चले जाते हैं? – हाँ, यह सबसे अधिक तर्कसंगत उत्तर है।
🔹 क्या योग और तंत्र के माध्यम से अंतर्ध्यान हो सकते हैं? – शास्त्रों के अनुसार, यह संभव है।
👉 कुंभ मेला केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मोक्ष प्राप्ति और सनातन सत्य की खोज का सबसे बड़ा मंच है।
 
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