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कुंभ के गुप्त बाजार: तंत्र, मंत्र और रहस्यमय वस्तुओं की अनदेखी दुनिया

धर्म योद्धा डॉक्टर सुरेश चव्हाणके जी द्वारा #महाकुंभ_लेखमाला

Dr. Suresh Chavhanke
  • Feb 23 2025 10:24AM
कुंभ के गुप्त बाजार: तंत्र, मंत्र और रहस्यमय वस्तुओं की अनदेखी दुनिया

लेखक:
डॉ. सुरेश चव्हाणके (चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)

प्रस्तावना: कुंभ के रहस्यमय बाजार, जिनका अस्तित्व केवल ज्ञानी ही समझ सकते हैं

कुंभ मेला सिर्फ आध्यात्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐसा महासंगम है, जहाँ लोक और अलौकिक का मिलन होता है। जहाँ आस्था का जनसागर उमड़ता है, वहीं कुछ गूढ़ रहस्य भी सदियों से यहाँ संजोए हुए हैं।

क्या कुंभ के भीतर कोई ऐसा बाजार भी है, जहाँ सामान्य श्रद्धालु प्रवेश नहीं कर सकते?
क्या इस आयोजन में ऐसी वस्तुएँ मिलती हैं, जिनका उपयोग केवल साधु-संत, योगी और तांत्रिक ही कर सकते हैं?
क्या मुगल और ब्रिटिश शासकों ने इन गुप्त बाजारों को खोजने की कोशिश की थी?

ऐसे ही अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर खोजने पर पता चलता है कि कुंभ का हर कोना केवल साधना का केंद्र ही नहीं, बल्कि रहस्य, गूढ़ ज्ञान और अलौकिक तत्वों का भी स्थल है।

कुंभ के दो प्रकार के बाजार

कुंभ मेले में आमतौर पर दो प्रकार के बाजार होते हैं:

1. सामान्य बाजार:
जहाँ धार्मिक साहित्य, मूर्तियाँ, प्रसाद, रुद्राक्ष, औषधियाँ और पूजा सामग्री मिलती हैं।
आम लोग इन बाजारों तक आसानी से पहुँच सकते हैं।

2. गुप्त बाजार:
जहाँ तंत्र-मंत्र, योग, आयुर्वेद, गूढ़ ग्रंथ और सिद्ध वस्तुएँ मिलती हैं।
यह स्थान केवल योग्य साधकों और दीक्षित संतों के लिए खुलते हैं।
यह बाजार स्थायी नहीं होते, बल्कि इन्हें सिर्फ गुरु परंपरा के माध्यम से ही खोजा जा सकता है।

गुप्त बाजारों में मिलने वाली रहस्यमयी वस्तुएँ

(A) दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ और रहस्यमयी औषधियाँ
हिमालय और गंगा तट से लाई गई संजीवनी तुल्य औषधियाँ।
‘काया कल्प रसायन’, जो आयुर्वेद में दीर्घायु और ऊर्जा प्रदान करने वाला माना जाता है।
ऐसी वनस्पतियाँ, जिनका उल्लेख वेदों और सिद्ध ग्रंथों में हुआ है।
आयुर्वेद की गुप्त पद्धतियों में प्रयुक्त ‘अमृत रस’, जो केवल विशिष्ट योगियों को ही दिया जाता है।

(B) तंत्र साधना से जुड़ी वस्तुएँ
सिद्ध तंत्र यंत्र और दुर्लभ ताबीज।
नागा साधुओं द्वारा तैयार की गई काल भैरव सिद्ध कंठी और महाकाली हड्डियाँ।
’भैरवी यंत्र’, जो केवल सिद्ध योगियों को दिया जाता है।
हड्डियों से बनी तांत्रिक सामग्री, जिसका उपयोग विशेष सिद्धियों में किया जाता है।

(C) प्राचीन ग्रंथ और गुप्त पांडुलिपियाँ
‘अथर्ववेद’ की दुर्लभ शाखाएँ, जो आम लोगों को नहीं दी जातीं।
‘तंत्र रहस्य’ और योग साधना ग्रंथ, जो केवल गुरु परंपरा में हस्तांतरित किए जाते हैं।
सिद्ध ग्रंथ, जो वेदों की गुप्त विद्याओं पर आधारित होते हैं।

(D) विशेष रूप से सिद्ध रुद्राक्ष और रत्न
1 से 21 मुखी रुद्राक्ष, जिनका उल्लेख शास्त्रों में मिलता है।
विशेष ‘चंद्रकांति और सूर्यकांति रत्न’, जो केवल सिद्ध साधुओं के पास मिलते हैं।

ऐतिहासिक प्रमाण: मुगल और ब्रिटिश शासकों की खोज और असफलता
मुगल इतिहासकार अबुल फजल ने “आइन-ए-अकबरी” में लिखा कि कुंभ मेले में कुछ बाज़ार ऐसे होते हैं जहाँ “जादूगर और साधु गुप्त सामग्री का आदान-प्रदान करते हैं।”
शाहजहाँ और औरंगजेब ने प्रयागराज कुंभ के दौरान इन बाजारों को बंद करवाने के आदेश दिए थे, लेकिन नागा साधुओं ने इन्हें भूमिगत कर दिया।
अंग्रेज़ अधिकारी लॉर्ड कर्ज़न ने 19वीं सदी में प्रयागराज कुंभ का दौरा किया और लिखा – “कुछ बाजार ऐसे थे, जहाँ हमें प्रवेश नहीं करने दिया गया।”
1857 के कुंभ में ब्रिटिश गवर्नर लॉर्ड डलहौजी ने यह देखने की कोशिश की कि साधु कहाँ से तंत्र सामग्री खरीदते हैं, लेकिन वे किसी भी रहस्यमयी दुकान तक नहीं पहुँच सके।
1921 के कुंभ में अंग्रेज अधिकारियों ने इन बाजारों पर रोक लगाने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे।

क्या ये गुप्त बाजार आज भी मौजूद हैं?
हाँ। ये बाजार आज भी जीवित हैं, लेकिन इनके स्वरूप में बदलाव आया है।
अब ये खुले बाजारों की तरह नहीं होते, बल्कि गुप्त स्थानों पर लगाए जाते हैं।
केवल उन्हीं को इनमें प्रवेश मिलता है, जिन्हें संतों की ओर से विशेष अनुमति दी जाती है।

कुंभ मेला: एक आध्यात्मिक महासंगम और रहस्य का केंद्र

कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह गूढ़ विज्ञान, तंत्र, योग, और वेदों की ऊर्जा का केंद्र भी है।
जो दिखता है, वह केवल बाहरी स्वरूप है।
जो नहीं दिखता, वही असली कुंभ है।
यह बाजार केवल वहीं खुलते हैं, जहाँ सनातन परंपरा की जड़ें गहरी होती हैं।

👉 तो अगली बार जब आप कुंभ जाएँ, तो केवल उन्हीं चीज़ों को न देखें जो आपकी आँखों के सामने हैं।
👉 शायद कोई अदृश्य मार्ग आपको बुला रहा हो, कोई रहस्य आपको पुकार रहा हो।
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