झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा प्रखंड के अंतर्गत स्थित पारलीपोस गाँव से एक घर वापसी की खबर सामने आई है। इस गाँव में पिछले कुछ वर्षों से धर्मांतरण की घटनाएं चर्चा में रही थीं, लेकिन अब यहां के लोग अपने प्राचीन और स्वाभाविक सनातन धर्म की ओर वापस लौटने का निर्णय ले लिया हैं। गाँव के 68 परिवारों के 200 वनवासियों ने सनातन धर्म को अपनाया और इसके साथ ही एक नई शुरुआत की।
हाल ही में आयोजित एक नि:शुल्क चिकित्सा शिविर के दौरान हुई, जिसे जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में विश्व कल्याण आश्रम द्वारा पारलीपोस गाँव में आयोजित किया गया। इस शिविर का उद्देश्य सिर्फ चिकित्सा सेवा देना नहीं था, बल्कि यह स्वधर्मानयन अभियान का हिस्सा भी था। इस अभियान के तहत, पारलीपोस गाँव के वनवासी समुदाय के 68 परिवारों के 200 लोगों ने पुनः सनातन धर्म में वापसी की।
स्वधर्म की ओर वापसी का यह महत्वपूर्ण कदम जगद्गुरू शंकराचार्य के मार्गदर्शन में हुआ। शंकराचार्य ने गंगाजल का पान करवा कर और श्रीराम के नाम का जाप कर इन लोगों को सनातन धर्म की पुनः दीक्षा दी। इस मौके पर शंकराचार्य ने कहा, “स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः”, अर्थात, अपने धर्म में मृत्यु श्रेष्ठ है, जबकि परधर्म में जाने से भय उत्पन्न होता है। उनका यह संदेश पूरे गांव के लोगों के दिलों में गूंज उठा और उन्होंने पुनः अपने सनातन धर्म को अपनाने का संकल्प लिया।
इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ धर्म परिवर्तन को रोकना नहीं था, बल्कि लोगों को उनके मूल धर्म और संस्कृति से जोड़े रखना था। इस घर वापसी अभियान से न केवल पारलीपोस गाँव के लोग, बल्कि पूरे क्षेत्र में सनातन धर्म के प्रति आस्था और श्रद्धा को बढ़ावा मिला है।