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'ये वर्दी वाले हिन्दू हैं, आज जिन्दा न बचने पाएँ': पुरुष जवानों पर हमला व महिला पुलिसकर्मियों से अश्लीलता... नागपुर हिंसा की FIR में खुलासा- मुस्लिम भीड़ के डर से गिर गए शटर और बंद हो गईं खिड़कियाँ

पुलिस वालों को हिन्दू कह कर गंदी-गंदी गालियाँ दे रही थी नागपुर की मुस्लिम भीड़

Rahul Panday
  • Mar 19 2025 10:07PM

महाराष्ट्र के नागपुर में सोमवार (17 मार्च 2025) को मुस्लिम भीड़ ने पुलिस और हिन्दुओं के घरों पर हमला कर दिया था। इस हमले में वामपंथी और इस्लामी हैंडल दंगाइयों के बचाव में खुल कर उतर आए हैं। आतताइयों के बचाव में तमाम तरह की आधारहीन दलीलें दी जा रहीं थीं कि तभी इस मामले में दर्ज FIR ने सभी चरमपंथ समर्थकों की पोल खोल दी। पुलिस की यह FIR साफ़ तौर पर बता रही है कि हिंसक इस्लामी भीड़ प्रशासन की एक बात भी सुनने को तैयार नहीं थीं। जब कट्टरपंथियों ने हमला किया तब मौके पर महिला पुलिसकर्मी भी तैनात थीं। पूरी तैयारी से हुए इस हमले को साजिश मानते हुए पुलिस आगे की जाँच कर रही है। 

इस हिंसा की FIR महाराष्ट्र पुलिस के एक भुक्तभोगी स्टाफ जितेंद्र बाबूराव गाडगे ने दर्ज करवाई है। 18 मार्च (मंगलवार) को दर्ज इस FIR में जितेंद्र ने बताया है कि वो अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। तभी माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) का शहर अध्यक्ष फहीम शमीम खान शमीम खानअपने साथ 50-60 लोगों की भीड़ ले कर वहाँ पहुँच जाता है। फहीम ने गणेश पेठ थाने में अवैध और बिना अनुमति का जमावड़ा किया। यहाँ पर उसने एक लिखित शिकायत दर्ज करवाई। 

शिकायत तो था बहाना, दंगा था भड़काना

  फहीम द्वारा दी गई शिकायत के दौरान सैफ, शेख नदीम, मोहम्मद शाहनवाज, मोहम्मद हारिश, युसूफ शेख, शेख सादिक, मोहम्मद यूसुफ और असीम शेख आदि भी मौजूद थे। इन सभी की शिकायत पर बजरंग दल के 9 सदस्यों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 37(1), 37(3) और 13 के तहत FIR दर्ज हुई। केस दर्ज करवाने के बावजूद यह भीड़ हंगामा कर रही थी। पुलिस ने इन्हे शाँत रहने की हिदायत दी। 

17 मार्च की शाम लगभग 4 बजे 500 से 600 की तादाद में मुस्लिम भीड़ छत्रपति शिवाजी महराज की प्रतिमा के पास जमा होने लगी। वो हिंसक मूड में लग रहे थे जिस से सामाजिक सौहार्द पर असर पड़ने का अंदेशा था। पुलिस के अधिकारी भीड़ के जमावड़े की सूचना पर वहाँ पहुँचे। उन्होंने जमावड़े को गैरकानूनी बताते हुए लोगों को अपने-अपने घरों को चले जाने की अपील की। हालाँकि पुलिस की इस अपील का हिंसा पर आमादा लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा। 

शिकायतकर्ता पुलिसकर्मी का दावा है कि हिंसक भीड़ को कुछ लोगों ने सोशल मीडिया और व्यक्तिगत तौर पर उकसाया था। भीड़ में शामिल लोग हमलावर मुद्रा में थे। वो ज्यादा से ज्यादा नुकसान करने के इरादे में लग रहे थे। उन्होंने पुलिस को देखते ही भड़काऊ नारे लगाने शुरू कर दिए। इन्ही में से एक नारा था, "पुलिस दिखाई दे रही है। किसी को भी नहीं छोड़ना है।" भीड़ में से ही कुछ लोग पुलिस को ही सारी समस्या की जड़ बता कर आक्रोश को बढ़ावा दे रहे थे।

FIR में बताया गया है कि हमलावरों के पास कुल्हाड़ी, लाठी और पत्थर जैसे हथियार थे। अचानक इस भीड़ ने पुलिस वालों पर जानलेवा हमला कर दिया। मौके पर तैनात DCP निकेतन कदम, शशिकांत सातव और अर्चित चांडक के साथ इंस्पेक्टर मच्छिद्र पंडित, नितिन राजकुमार आदि ने इस भीड़ को समझाने और रोकने की बहुत कोशिश की। हालाँकि पुलिस के तमाम प्रयास नाकाम रहे। 

हमलावरों में से कुछ पुलिसकर्मियों पर लाठी-डंडों और कुल्हाड़ी से वार कर रहे थे तो कई अन्य पत्थर चला रहे थे। इसी भीड़ से कई दंगाइयों ने पुलिस पर पेट्रोल बम भी फेंके। दंगाइयों ने पुलिस वालों से कहा, "माद$#दों, तुम हिन्दू धर्म के पुलिस वाले हो। तुमने ही हमारी चादर जानबूझ कर जलाई है।" इसके अलावा पुलिसकर्मियों को कई भद्दी-भद्दी गालियाँ दी जा रही थीं। इन पुलिसकर्मियों को अलग-अलग चेक पोस्ट पर मारा-पीटा गया। 

महिला पुलिसकर्मियों से भी बदनीयती

  शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि हिंसक भीड़ अँधेरे का फायदा उठा कर बवाल करती हुई आगे बढ़ रही थी। इसी दौरान मुस्लिम भीड़ ने बंडोस्टा पर तैनात  आरसीपी दस्ते की एक महिला कांस्टेबल को गंदी नीयत से छुआ। अन्य महिला पुलिसकर्मियों को भद्दे-भद्दे कमेंट और अश्लील इशारे किए गए।  इन्हीं आतताइयों ने रास्ते में जा रहीं अन्य महिलाओं का भी यौन उत्पीड़न किया। पुलिस के वाहनों में तोड़फोड़ हुई और दोनों तरफ से घेर कर वर्दी वालों पर पथराव हुआ। 

थोड़े समय में हिंसक भीड़ रिहायशी इलाकों में घुसी। यहाँ कुछ घरों और उनके आगे खड़े वाहनों में आग लगा दी गई। कई घरों में पत्थरबाजी हुई। एक फ्लाई ओवर निर्माण में लगे 2 क्रेनों को भी स्वाहा कर दिया गया। सड़कों पर लगे कई होर्डिंग्स और बैनरों को नोच डाला गया। आतंक के इस नंगे नाच को देख कर लोगों ने अपने घरों के खिड़की-दरवाजे बंद कर लिए। दुकानदारों ने अपने शटर नीचे गिरा लिए। पुलिस ने इस हरकत को भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने वाला बताया है। 

पुलिस के अनुसार मुस्लिम भीड़ के हमले में IPS अधिकारी DCP निकेतन कदम,  DCP शशिकांत सातव के साथ इंस्पेक्टर मछिन्द्र पंडित, नितिन चंद्र राजकुमार पांडुरंग जाधव घायल हो गए। इसके अलावा 2 महिला पुलिसकर्मी भी हिंसक भीड़ की चपेट में आ गईं। सभी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। फ़िलहाल सभी को छुट्टी मिल चुकी है और माना जा रहा है कि वो जल्द ही अपनी ड्यूटी पर वापस लौटेंगे। 

57 धाराओं में FIR

  नागपुर पुलिस ने इन सभी आरोपितों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 45, 49, 50, 61(2), 74, 76, 79, 109, 115(2), 117(2), 117(4), 118(1). 118(2), 121(1), 121(2), 125, 126(2), 127(2), 132, 135, 189(2), 189(3), 189(4), 189(5), 189(9), 190, 191(2), 191(3), 192, 195(1), 195(2), 196(1), 197(1), 223, 296, 324(2), 324(3), 324(4), 324(5), 324(6), 326 (एफ), 326 (जी), 351(2), 351 (3), 352 और 353(2) के तहत कार्रवाई की है। इसके अलावा इन सभी पर आपराधिक कानून संशोधित अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति विरूपण अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम आदि जोड़ा गया है। कुल मिला कर आरोपितों पर 57 धाराएँ लगाई गईं हैं। 

पकड़े गए आरोपितों में आबिद शेख, फैज़ान, शमीम, इनामुद्दीन, अशफाक, कासिफ, इरफ़ान, अल्ताफ, वसीम रज़ा, नदीम, अब्दुल महफूज़, शेख हसन, अकरम शेख, आमिर रज़ा, अदनान अली, शेख रियाज़, दानिश खान, मोहम्मद एजाज, शेख असरार, फैज़ान अमीन, मोहम्मद इमरान, मोहम्मद इफ्तिकार, नसरुद्दीन शेख, अब्दुल अदनान, इबादतउल्लाह खान, वसीम, शेख इमरान, मोहम्मद आवेज, सैफ अली, नदीम शेख, मोहम्मद शाहनवाज, मोहम्मद हारिश, युसूफ शेख, शेख सादिक, मोहम्मद युसूफ और असीम शेख, यासिर शेख, शेख फय्याज, शेख एहफ़ाज़, मोहम्मद अल्ताफ, मोहम्मद जुम्मा, अब्दुल अमन, मोहम्मद इकबाल, मोहम्मद ईजाद, मोहम्मद अकसार और  मोहम्मद इजहार आदि के नाम हैं।

इसके अलावा 5 अन्य नामजद हमलावर नाबालिग भी हैं जिनको गिरफ्तार कर लिया गया है। फरार चल रहे अन्य दंगाइयों की तलाश के लिए पुलिस टीमों का गठन किया जा चुका है। ताबड़तोड़ दबिश जारी है। माना जा रहा है कि आरोपितों पर अभी कुछ और भी धाराएँ बढ़ सकती हैं। 
 

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