देश की राजधानी दिल्ली में आज यानी रविवार को एक ऐतिहासिक घटना घटी जब 'गुरुदेव' श्री श्री रविशंकर ने मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दुर्लभ और पवित्र अवशेषों का पहली बार दिल्ली में अनावरण किया, जो 1000 वर्षों के बाद पाए गए हैं। लाखों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने, जो भारत की वर्तमान पीढ़ी को इसकी प्राचीन आध्यात्मिक जड़ों से जोड़ने वाली एक दिव्य अनुभूति थी।
महासत्संग ‘आनंदम’ में, जिसमें भक्तिमय संगीत, आध्यात्मिक ज्ञान और इन पवित्र पत्थरों के ऐतिहासिक अनावरण का संगम हुआ, अनेक गणमान्य हस्तियों ने भाग लिया। इनमें दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, पश्चिम दिल्ली से संसद सदस्य कमलजीत सेहरावत, और विधायक तिलकराम गुप्ता सम्मिलित थे।
आर्ट ऑफ लिविंग के वैश्विक प्रभाव को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, "गुरुदेव, आपके माध्यम से, लाखों लोग देख रहे हैं कि आर्ट ऑफ लिविंग कैसे पूरे विश्व में 'वसुधैव कुटुंबकम' (एक विश्व परिवार) की भावना को साकार कर रहा है। यदि हमें एक सार्थक सामाजिक जीवन जीना है, तो हमारे जीवन में आर्ट ऑफ लिविंग का ज्ञान होना आवश्यक है।"
पर्यावरण संरक्षण में गुरुदेव के नेतृत्व को याद करते हुए उन्होंने कहा, “गुरुदेव, मुझे आज भी याद है कि आपकी प्रेरणा से हजारों आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवकों ने यमुना घाटों की सफाई का विशाल कार्य किया था और हजारों ट्रक कचरा हटाया था।"
उन्होंने कहा, “अब, हम इस कार्य को आगे बढ़ाएंगे, एक सुंदर रिवरफ्रंट बनाएंगे और आपकी उपस्थिति में एक भव्य महाआरती का आयोजन करेंगे। मैं स्वयं आपको आमंत्रित करने आऊंगी।"
श्री श्री ने अपने संबोधन में कहा, "यह देखकर हृदय प्रसन्न है कि मुख्यमंत्री महोदया पहले ही यमुना सफाई अभियान की बात कर रही हैं।" उन्होंने बताया कि आर्ट ऑफ लिविंग का 'मेरी दिल्ली, मेरी यमुना' अभियान 2010 में ही प्रारंभ हो चुका था।
श्री श्री ने 1000 वर्षों बाद प्राप्त हुए पवित्र अवशेषों का अनावरण किया, जो मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के थे। यह कोई साधारण लिंगम नहीं था, यह भूमि से 2 फीट ऊपर स्थित था। 2007 में हुए भूवैज्ञानिक विश्लेषण में इन पत्थरों में असाधारण चुम्बकीय गुण पाए गए, जिनकी संरचना अब तक ज्ञात किसी भी सामग्री से मेल नहीं खाती।
गुरुदेव ने कहा, "शिव इस अस्तित्व के प्रत्येक कण में विराजमान हैं। वे हमारे हृदयों में सदा रहते हैं, लेकिन कभी-कभी वे कुछ विशेष पवित्र स्थानों में प्रकट होते हैं। हम इस दिव्य घटना का पूरे देश में उत्सव मनाएंगे। रामेश्वरम से सोमनाथ तक, यह यात्रा उस दिव्य उपस्थिति को समर्पित होगी।"
इन अवशेषों की कहानी पूर्ण आस्था और समर्पण की विजयगाथा है। 1026 ईस्वी में महमूद ग़ज़नी ने सोमनाथ मंदिर और इसके भीतर स्थित ज्योतिर्लिंग को नष्ट कर दिया था। इस विनाश से व्यथित कुछ अग्निहोत्री ब्राह्मणों ने गुप्त रूप से ज्योतिर्लिंग के अंशों को तमिलनाडु ले जाकर छोटे शिवलिंगों के रूप में ढाला और पीढ़ियों तक उनकी पूजा की।
अंततः ये पवित्र अवशेष अग्निहोत्री ब्राह्मण पंडित सीताराम शास्त्री के परिवार के संरक्षण में आ गए। "आपको स्वयं इन्हें गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के पास बेंगलुरु लेकर जाना चाहिए। वे इसकी उचित व्यवस्था करेंगे," उन्हें कांची शंकराचार्य ने निर्देशित किया।
सत्संग के दौरान, आर्ट ऑफ लिविंग के 'इंट्यूशन प्रोसेस' के बच्चों ने अद्भुत प्रदर्शन किया। एक ने आंखों पर पट्टी बांधकर दर्शकों के विजिटिंग कार्ड की जानकारी पढ़ी, जबकि दूसरे ने ब्लाइंडफोल्ड में रूबिक क्यूब हल कर दिया। श्री श्री संस्कार केंद्र के बच्चों ने रामायण के चुनिंदा चौपाइयों के मधुर पाठ से सभी को भावविभोर कर दिया।
मोहन कृष्णा, जो पं. कैलाश शर्मा के शिष्य हैं, ने राग मिश्र पर आधारित बांसुरी वादन से सभी का मन मोह लिया।
'वर्ल्ड पीस सेंटर' का उद्घाटन
इससे पूर्व श्री श्री ने पूज्य जैन मुनि लोकेश मुनि, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ 'वर्ल्ड पीस सेंटर' का उद्घाटन किया। सभा को संबोधित करते हुए, गुरुदेव ने सनातन धर्म के सार, अहिंसा, धैर्य और आंतरिक शक्ति पर गहरी अंतर्दृष्टि साझा की।
श्री श्री ने कहा, "जहाँ वायु भी नहीं पहुँच सकती, वहाँ मन पहुँच सकता है। प्रकृति असीम संभावनाओं का क्षेत्र है। ईश्वर को समझने के अनगिनत मार्ग हैं। यही कारण है कि इस ज्ञान को आत्मसात करने के लिए धैर्य आवश्यक है। तपस्या जीवन को स्थायी और मुक्त बनाती है। यह तप ही विश्व के कल्याण का माध्यम बनेगा।"
जैन मुनि लोकेश मुनि जी ने श्री श्री की सराहना करते हुए कहा, "गुरुदेव ने केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में शांति का संदेश फैलाया है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, जीविका, और किसानों के उत्थान के लिए जो कार्य किए हैं, वे अतुलनीय हैं। उनका प्रेम और सेवा शब्दों से परे है।"
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुदेव को सम्मानित किया।
एक महत्वपूर्ण घोषणा में, लोकेश मुनि जी ने श्री श्री रविशंकर और संत मुरारी बापू के नेतृत्व में एक विशेष समिति बनाने की घोषणा की, जो विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं को एकत्र कर अहिंसा और शांति स्थापित करेगी।
श्री श्री को 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी में भी आमंत्रित किया गया। उन्होंने संतुलित और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, "हिंसा समाधान नहीं है। हमें परिस्थितियों को समझदारी और संयम से संभालना चाहिए।"
इसके अतिरिक्त, 3 मार्च को शाम 5 बजे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम, इंडिया गेट के पास एक सामूहिक रुद्र पूजा आयोजित की जाएगी। यह वैदिक अनुष्ठान समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति प्रदान करने वाला माना जाता है। इस कार्यक्रम में 10,000 से अधिक लोग भाग लेंगे, जो मूल सोमनाथ लिंगम के दिव्य अवशेषों के ऊर्जा प्रवाह का अनुभव करेंगे। इसका प्रमुख आकर्षण सामूहिक शंखनाद होगा, जो विश्व शांति का आह्वान करेगा।