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दिल्ली दंगों की पांचवीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष चर्चा... सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करने वाले सूचना युद्ध पर हुआ चिंतन

सांस्कृतिक सद्भाव और सामाजिक एकता को चुनौती देते हुए दिल्ली दंगों के पांच साल, न्यायाधीशों और विशेषज्ञों का चिंतन।

Ravi Rohan
  • Mar 1 2025 8:21PM

साल 2020 के दुखद दिल्ली दंगों की पांचवीं वर्षगांठ मनाने के लिए 1 मार्च को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में प्रमुख कानून विद, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी, बुद्धिजीवी, शिक्षाविद और राजनयिक इकट्ठे हुए। एक दिवसीय विशेष चर्चा का आयोजन जीआईए, बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के समूह, नई दिल्ली द्वारा किया गया हैं। अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि, 2020 काम दिल्ली दंगे भारतीय राज्य के विरुद्ध सूचना युद्ध का उदाहरण है।

इस कार्यक्रम में न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा, राजेंद्र शर्मा (पूर्व सत्र न्यायाधीश), मोनिका अरोड़ा (एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट), एस.एन. श्रीवास्तव (आईपीएस), न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली, भास्वती मुखर्जी (आईएफएस) और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित है।

इस चर्चा में न्यायमूर्ति एस. एन. ढींगरा ने इस बात पर जोर दिया कि किस तरह से भारत में लोग आपसी सामंजस्यपूर्ण सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा  है जहां सदियों से समुदाय के बीच आपसी भाईचारा और सह-अस्तित्व देखने को मिलता है। वहीं ये सभी मूल्य एकता और साझा परंपराओं को बढ़ावा देते हैं। यह शब्द, जो भारत में संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के समन्वयकारी मिश्रण को उजागर करता है, लंबे समय से विभिन्न धर्मों और समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक रहा है। हालांकि, न्यायमूर्ति ढींगरा ने इस बारे में भी एक महत्वपूर्ण चिंता जताई कि क्या यह सांस्कृतिक सद्भाव विशेष समुदायों के हाशिए पर जाने या शोषण के कारण प्रभावित हुआ है?

राजेंद्र शर्मा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ओर दिल्ली में हुईं अशांति में इसकी भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे के कारणों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया। दंगे एक सहज प्रतिक्रिया नहीं थे, बल्कि कुछ समूहों द्वारा अस्थिरता पैदा करने और राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को बाधित करने की एक सुनियोजित योजना का परिणाम थे। शर्मा ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन किसी भी तरह से भारतीय मुसलमानों के नागरिकता अधिकारों को नहीं छीनता है, बल्कि इन विशिष्ट सताए गए अल्पसंख्यकों को उनकी विशिष्ट ऐतिहासिक परिस्थितियों के आधार पर नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करता है।

शर्मा ने इन घटनाओं के मद्देनजर एकता, समझ और संवाद की आवश्यकता पर बल देते हुए अपने भाषण का समापन किया। उन्होंने नागरिकों से गलत सूचनाओं से परे देखने और भारत के बहुलवादी समाज की अखंडता और सद्भाव को बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया। श्रीमती मोनिका अरोड़ा ने बताया कि कैसे उस अवसर को इन दुखद घटनाओं की पांचवीं वर्षगांठ के रूप में चिह्नित किया गया था और यह महत्वपूर्ण था कि नागरिक न केवल खोए हुए जीवन और सहे गए दर्द को याद रखें, बल्कि उन अंतर्निहित कारकों की भी जांच करें जिन्होंने इन  भयानक दंगों की रूपरेखा तैयार करने में  अहम भूमिका निभाई और विशेष रूप से सार्वजनिक धारणा को प्रभावित करने और संघर्ष को बढ़ावा देने में सूचना युद्ध( इन्फॉर्मेशन वारफेयर) का  दृष्टिकोण बनाने  की भूमिका अदा की।

दिल्ली दंगे भारत के समकालीन इतिहास में एक हृदयविदारक क्षण थे, जिसने गहरे सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक विभाजन को उजागर किया। फिर भी, दृश्यमान हिंसा और विनाश से परे, एक और ताकत काम कर रही थी, ये अदृश्य लेकिन शक्तिशाली ताकत जिसने इस पटकथा  को निर्देशित किया, भावनाओं को भड़काया और सार्वजनिक सदभाव में हेरफेर किया। वह ताकत, "सूचना युद्ध के  लिए  बुनियादी रूप से जनता की राय को प्रभावित करने, सामाजिक सद्भाव को बाधित करने या राजनीतिक या वैचारिक लाभ के लिए घटनाओं में हेरफेर करने के लिए सूचना के रणनीतिक उपयोग को संदर्भित करता है।"

सबूत के रूप  में मिले वीडियो और संदेश, जिन्हें अक्सर गलत संदर्भ में पेश किया जाता है या फिर तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है, गुमराह करने, गुस्सा भड़काने और समुदायों के बीच विभाजन पैदा करने के इरादे से लोगों  के बीच संप्रेषित किए जाते हैं। इन  सभी गलत सूचनाओ ने सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, वहीं पड़ोसियों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया, सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ा और उन समूहों के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा किया जो पीढ़ियों से शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व से रहते चले आ रहे थे।

चर्चा के अगले दौर में पीजी डीएवी कॉलेज संध्य के उड़ान नामक नाट्य मंच के छात्रों ने अपने नाटक के मंचन के माध्यम से दिल्ली दंगों की परदे के पीछे बनीं रणनीति को उजागर किया। संपूर्ण चर्चा में अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई साथ ही आम जन मानस तक इस विखंडन कारी समूहों के मन्तव्यों को उजागर कर जन जागृति को बढ़ावा दिया। (PR)

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