केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार यानी 1 मार्च को दिल्ली में मणिपुर के मौजूदा हालात पर एक समीक्षा बैठक की। बैठक में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, राज्य के वरिष्ठ अधिकारी, सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करना और अवैध हथियारों का आत्मसमर्पण सुनिश्चित करना था।
राष्ट्रपति शासन के बाद पहली बैठक
यह बैठक मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद पहली बार आयोजित की गई। गृह मंत्री अमित शाह ने निर्देश दिया कि, मणिपुर के सभी बंद रास्तों को 8 मार्च से खोल दिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि किसी भी प्रकार की दखलंदाजी होती है, तो इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मणिपुर में पिछले दो सालों में व्यापक हिंसा देखी गई है, जिसमें 200 से अधिक लोग मारे गए हैं।
ड्रग्स नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश
गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, "मणिपुर को ड्रग-फ्री बनाने के लिए, ड्रग्स के व्यापार में शामिल पूरे नेटवर्क को नष्ट कर दिया जाना चाहिए।" जानकारी के अनुसार, गृह मंत्री ने मणिपुर की सुरक्षा स्थिति का विस्तृत जायजा लिया और राज्य में कानून-व्यवस्था की समग्र स्थिति पर चर्चा की। मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राजनीतिक अनिश्चितता पैदा हो गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया था।
राज्यपाल का अवैध हथियारों का आत्मसमर्पण करने का अल्टीमेटम
राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने 20 फरवरी को एक अल्टीमेटम जारी करते हुए लोगों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सात दिन के भीतर पुलिस को सौंपने का अनुरोध किया था। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया था कि इस दौरान हथियार सौंपने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस पहल के तहत घाटी के जिलों में 300 से अधिक हथियार जनता द्वारा पुलिस को सौंपे गए, जिसमें मेइती चरमपंथी समूह अरम्बाई टेंगोल द्वारा सौंपे गए 246 आग्नेयास्त्र भी शामिल थे। इसके बाद राज्यपाल ने हथियारों के आत्मसमर्पण की समयसीमा को बढ़ाकर 6 मार्च शाम 4 बजे तक कर दिया है।