महाराष्ट्र के नागपुर में भड़की हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम खान की गिरफ्तारी के बाद अब जांच एजेंसियों की नजर सैयद आसिम अली पर है। अली माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का पदाधिकारी है और नागपुर हिंसा के बाद से फरार बताया जा रहा है। उसकी संदिग्ध गतिविधियों के चलते पुलिस को शक है कि वह इस साजिश का अहम हिस्सा हो सकता है। इससे पहले अली का नाम हिंदू नेता कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में भी सामने आया था, जिसके चलते वह साढ़े चार साल जेल में बिता चुका है।
कमलेश तिवारी हत्याकांड से नागपुर हिंसा तक
सैयद आसिम अली, जो नागपुर के झिंगाबाई टाकली इलाके का निवासी है, पहले भी कई विवादों में रह चुका है। 2019 में उसने कमलेश तिवारी की हत्या के आरोपी की जीभ काटने पर इनाम देने की घोषणा की थी। तिवारी की हत्या के बाद उसे गिरफ्तार किया गया और 2024 तक जेल में रहा। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2024 में उसे जमानत दी थी, जिसके बाद वह नागपुर लौटा। नागपुर हिंसा के दौरान उसकी मोबाइल लोकेशन उन इलाकों में मिली थी, जहां उपद्रव हुआ। सीसीटीवी फुटेज में भी उसकी मौजूदगी देखी गई।
लोकसभा चुनाव और हिंसा के तार जुड़े?
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार नागपुर हिंसा कोई आकस्मिक घटना नहीं थी, बल्कि पहले से सुनियोजित साजिश थी। आसिम अली ने 2019 में नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और 2024 के लोकसभा चुनाव में उसने फहीम खान को भी गडकरी के खिलाफ खड़ा किया। पुलिस को शक है कि नागपुर हिंसा के पीछे राजनीतिक मकसद भी हो सकता है। चुनाव से कुछ महीने पहले गडकरी को जैश-ए-मोहम्मद के समर्थक द्वारा धमकी भरे कॉल आने की भी पुष्टि हुई थी।
दंगाइयों को उकसाने का आरोप
जांच में सामने आया है कि 17 मार्च को हिंसा से पहले आसिम अली गणेशपेठ पुलिस स्टेशन में देखा गया था। उसके साथ कुछ प्रदर्शनकारी भी मौजूद थे। उसके मोबाइल से हिंसा भड़काने के लिए कई कॉल किए गए थे। आरोप है कि उसने अलग-अलग इलाकों में जाकर युवाओं को इकट्ठा किया और सेंट्रल नागपुर में भेजा।
कारोबार की आड़ में साजिश?
जानकारी के अनुसार, आसिम अली नागपुर के हंसपुरी इलाके में हार्डवेयर का कारोबार करता है, लेकिन इसी इलाके में सबसे अधिक हिंसा देखने को मिली। यहां 100 से ज्यादा वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था। जांच एजेंसियां अब इस मामले से जुड़े हर पहलू की छानबीन कर रही हैं और फरार आरोपी आसिम अली की तलाश जारी है।