राजस्थान के जोधपुर में घर में गैस सिलेंडर फटने से आग भड़क उठी, जिसने एक मुस्लिम परिवार की उमरा यात्रा की तैयारियों को तबाही में बदल दिया। शहर के गुलाब सागर के पास मियां की मस्जिद इलाके में सोमवार (7 अप्रैल 2025) की शाम को यह दर्दनाक हादसा हुआ। इस भीषण हादसे में 14 महीने के मासूम और 19 वर्षीय युवती सादिया की जान चली गई, जबकि 14 अन्य लोग गंभीर रूप से झुलस गए।
बताया जा रहा कि, सादिया हादसे से बच गई थी, मगर उसने दोबारा अंदर जा कर मौत को खुद ही गले लगाने की गलती गया कर दी। इंसान के जीवन में या आफत\हादसे के वक्त सबसे जरूरी जो चीज़ होती है वो जान या मानवता होती है, शायद इस बात की तालीम उसे किसी ने दी होती तो महज एक हिजाब के कारण उसे अपनी ज़िंदगी नहीं गँवानी पड़ती।
उमरा यात्रा से पहले, बिछ गई ग़म की चादर
परिवार में उमरा पर रवाना होने से पहले विशेष रस्में चल रही थीं। घर में मेहमानों के लिए भोजन तैयार किया जा रहा था कि अचानक सिलेंडर में लीकेज के कारण आग लग गई। कुछ ही मिनटों में आग ने पूरे घर को अपनी चपेट में ले लिया। हादसे में सत्तार चौहान का परिवार बुरी तरह प्रभावित हुआ, जहां चारों भाइयों के परिवार एक ही घर में रहते थे।
बचने के बाद लौटी सादिया, फिर हादसा
सादिया नमाज पढ़ने के बाद कमरे से बाहर आ चुकी थी, लेकिन अपना हिजाब लेने के लिए दोबारा कमरे में लौटी। इसी दौरान जलता हुआ दरवाजा उस पर गिर गया। मोहल्ले वालों और दमकल कर्मियों ने उसे बाहर निकालने की पूरी कोशिश की, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया। हादसे का मंजर देख मोहल्ले के लोग अब भी सहमे हुए हैं।
दहशत के साये में मोहल्ला, घर की महिलाएं बेहोश मिलीं
आग फैलते ही घर की महिलाएं घबरा कर एक कमरे में बंद हो गईं। उन्हें लगा कि वहां सुरक्षित रहेंगी, मगर धुएं ने उन्हें बेहोश कर दिया। पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर उन्हें बाहर निकाला। इधर मोहल्ले की गलियों में अफरा-तफरी मच गई। कुछ लोग सिलेंडर हटाने लगे, तो कुछ अपनी गाड़ियां बचाने में जुट गए। आग इतनी विकराल थी कि पास की दुकानों और कंप्रेसर तक को अपनी चपेट में ले लिया।
संकरी गलियों ने फायर ब्रिगेड की राह रोकी
स्थानीय लोगों के अनुसार, तंग गलियों के कारण फायर ब्रिगेड को घटनास्थल तक पहुंचने में देरी हुई। तीन दिन बाद भी मोहल्ला उस भयावह दृश्य को भूल नहीं पा रहा। झुलसे हुए कई लोग अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सत्तार चौहान के घर की दीवारें अब भी काली पड़ी हैं और जलने की बदबू उस रात की गवाही देती है।