भारत और उज्बेकिस्तान की सेनाओं के बीच आयोजित भव्य संयुक्त सैन्य अभ्यास 'दुस्तलिक-VI 2025' का समापन रविवार (27 अप्रैल 2025) को पुणे स्थित दक्षिणी कमान के फॉरेन ट्रेनिंग एंड मिलिट्री सिविल फ्यूजन ट्रेनिंग नोड, औंध में 48 घंटे चले जोरदार फाइनल एक्सरसाइज के साथ हुआ। इस अवसर पर ब्रिगेडियर शैलेन्द्र शर्मा, वीएसएम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और औपचारिक रूप से अभ्यास के समापन की घोषणा की।
15 अप्रैल से 28 अप्रैल 2025 तक चले इस संयुक्त अभ्यास का प्रमुख उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच आपसी तालमेल बढ़ाना और अर्ध-शहरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम देने की रणनीतियों को साझा करना रहा। अभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिकों ने आतंकवादी खतरों को निष्प्रभावी करने, बंधक संकट का समाधान करने और शहरी युद्ध की जटिल परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का पालन करते हुए कार्रवाई करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।
सेना के बीच मजबूत हुआ विश्वास और सामरिक सहयोग
इस अभ्यास ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच ना केवल सामरिक समझ को गहरा किया बल्कि एक-दूसरे के ऑपरेशनल तरीकों, युद्ध कौशल और आतंकवाद से निपटने की रणनीतियों को साझा कर आपसी विश्वास और भाईचारे को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। सैनिकों ने आपसी अभ्यासों के दौरान उत्साह और अनुशासन का अद्वितीय प्रदर्शन किया, जिससे दोनों देशों के बीच भविष्य में संयुक्त अभियानों के लिए आधार और भी मजबूत हुआ।
आत्मनिर्भर भारत की ताकत का प्रदर्शन
'दुस्तलिक-VI 2025' के दौरान प्रयुक्त हथियार और उपकरण पूरी तरह से भारतीय तकनीक पर आधारित रहे, जिससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं और "आत्मनिर्भर भारत" अभियान की मजबूती का दमदार संदेश पूरी दुनिया को दिया गया। ब्रिगेडियर शैलेन्द्र शर्मा ने अपने समापन भाषण में प्रतिभागियों और पर्यवेक्षकों को 'Partnership for Peace, Preparedness for Tomorrow' यानी "शांति के लिए साझेदारी, कल की तैयारी" के मूलमंत्र को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
क्षेत्रीय शांति और समृद्धि की दिशा में एक सशक्त कदम
यह सैन्य अभ्यास न केवल सामरिक दृष्टि से बल्कि केंद्रीय एशियाई गणराज्यों के बीच शांति, समृद्धि और अंतरराष्ट्रीय भाईचारे के मूल्यों को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ। अभ्यास के दौरान की गई संयुक्त ट्रेनिंग ने दोनों सेनाओं को आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एकजुट होकर खड़े होने की प्रेरणा दी।